अकीदमंदों ने आपसी भाईचारा कायम और मुल्क में अमन चैन और तरक्की की मांगी दुआएं
महोबा। शहर के मोहल्ला चौसियापुरा में हजरत सैय्यद महबूब अली रहमतुल्लाह अलैह व हजरत अजीज अली शाह रहमतुल्लाह अलैह का संदल व सालाना उर्स को अकीदतमंदों ने धूमधाम से मनाया गया। मजार ए अकदस पर रविवार की रात नौ बजे गुल पोशी, संदल शरीफ के बाद मजार पर चादर चढ़ाई गई, इसके बाद फातिहा हुई। फातिहा के बाद अकीदमंदों ने आपसी भाईचारा कायम और मुल्क में अमन चैन और तरक्की की दुआएं मांगी। इस मौके पर मुस्लिम लोगों के अलावा हिन्दू भाईयों ने भी शिरकत की। उर्स के मौके पर मजार पर पुरुषों बच्चों के अलावा महिलाओं की खासी भीड़ जुटी।
प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी हजरत सैय्यद महबूब अली रहमतुल्लाह अलैह व हजरत अजीज अली शाह रहमतुल्लाह अलैह के मजारों का अकीदतमंदों ने एक ही दिन संदल व उर्स का आयोजन किया, जहां पर लोगों की खासी भीड़ जुटती है। उर्स से पूर्व मजार की रंगाई पुताई कर परिसर को बिजली की रोशनी से जगमाया गया और उर्स की सुबह कमेटी ने पानी से मजार व आसपास की जगह को साफ किया जिससे किसी भी प्रकार की गंदगी नजर न आए। शाम होते ही अकीदमंदों का आना शुरु हो गया और कई लोगों के यहां से चादर लाई गई और दोनो मजारों पर चादर पोशी कर हाफिज मौलानाओं ने फातिहा पढ़ने के बाद सभी लोगों ने बुलंद आवाज में सलाम पढ़ा। आखिर में दुआ का सिलसिला शुरु हुआ जिसमें उपस्थित लोगों ने हाथ उठाकर मुल्क की तरक्की, आपसी भाईचारा और अमल चैन की दुआएं मांगी।
उर्स के मौके पर कई मोहल्ले के लोगों ने लंगर के लिए बिरयानी, जर्दा, पुलाव, हलवा तो कुछ अकीदमंदों ने मिठाई मंगाकर फातिहा दिलाई और इसके बाद वितरित किया। लंगर पाने के लिए सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चों की भीड़ आई। फातिहा के बाद हाफिज और मौलानाओं ने तकरीर करते हुए कहा कि बुजुर्गों के आस्थाने से आज भी लोगों को फैज हासिल होता है, यही वजह है कि मजारों पर लोग अकीदत के साथ पहुंचकर फातिहा पढ़ने के बाद दुआएं और मन्नते मानते हैं। कहा कि मोहम्मद साहब ने तमाम दुश्वारियां सहन करने के बाद भी किसी से बुराई नहीं मानी, बल्कि बुराई करने और परेशान करने वालों के बीमार हो जाने पर उनकी खैरियत भी लेने जाते थे। उन्होंने कहा कि हमे हजरत मोहम्मद साहब के बताए रास्ते पर चलकर अच्छी जिंदगी बसर करना चाहिए।