हजपुरा, अम्बेडकरनगर कहरा सुलेमपुर में मुख्य यजमान दुर्गा प्रसाद सिंह के यहां चल रही भागवत कथा में पांचवें दिन कथा व्यास पंडित विपुल महराज ने कृष्ण सुदामा प्रसंग का वर्णन किया। कहा कि प्रभु का नाम उच्चारण मात्र से ही पापों से मुक्ति मिलती है। भागवत कथा के रसपान से जीव जन्म मरण से मुक्त हो जाता है।
श्रीमद् भागवत कथा से अधिक कल्याणकारी कोई साधन नहीं है। सभी का सुख केवल भगवान के चरणों में निहित है। इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर इसका श्रवण अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा अमृत के समान है। जिसके श्रवण से मनुष्य अमृत तुल्य बन जाता है।
यह एक ऐसी दिव्य औषधि है जो जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। भागवत कथा को पंचम वेद कहा गया है। जिसे पढ़ने और सुनने से जीवन का परम उद्देश्य साकार होता है। कथा में कृष्ण सुदामा के मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सुदामा जब कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिकापुरी पहुंचते हैं। बाहर पहले उनका द्वारपालो के द्वारा उपहास उडाया जाता है।
लेकिन जब सुदामा के आने की जानकारी भगवान श्री कृष्ण को मिलती है तो वह उनसे मिलने के लिए नंगे पैर ही दौड़ पडते हैं। यह देख सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। श्री कृष्ण सुदामा को अपने साथ लेकर भवन आते हैं। प्रेम में वह इतना बिहवल हो जाते हैं कि अपने आंसुओं से ही सुदामा का पैर घुलते हैं।
और मन ही मन उनकी समस्या जानकर उसे दूर कर देते हैं। कृष्ण सुदामा की मित्रता का यह अनुपम उदाहरण है। इस अवसर पर राम बुझ यादव, संग्राम सिंह, संजय दुबे, बब्बुल पांडे, सुरेश्वर सिंह, विनय सिंह, राजीव शेखर त्रिपाठी, राम उजागिर लाल श्रीवास्तव, गुड्डू सिंह (दरोगा), राजदेव सिंह, राजू मिश्रा, आदि श्रोतागण मौजूद रहे।





