Friday, October 3, 2025
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UP News: आरटीई प्रवेश में सख्ती, पात्रता के लिए दोहरा सत्यापन अनिवार्य, नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा

लखनऊ निजी स्कूलों में दुर्बल और वंचित समूह के बच्चों के मुफ्त प्रवेश के लिए आरटीई कानून के नियम सख्त हो गए हैं। अब दोहरे सत्यापन की व्यवस्था होगी जिसमें शिक्षा विभाग के साथ अन्य विभाग भी प्रमाणपत्रों का ऑनलाइन सत्यापन करेंगे। बच्चे और अभिभावक का आधार कार्ड अनिवार्य है। गलत दस्तावेज पर कानूनी कार्रवाई होगी। स्कूलों को खाली सीटों की जानकारी पोर्टल पर देनी होगी।

लखनऊ। निजी स्कूलों में दुर्बल, अलाभित समूह व एक लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवार के बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश दिलाने के लिए लागू शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के नियम अब और सख्त कर दिए गए हैं।

अपात्रों को लाभ लेने से रोकने के लिए अब दोहरे सत्यापन की व्यवस्था होगी। आवेदनों के सत्यापन में शिक्षा विभाग की भूमिका तो रहेगी ही, उसके साथ लगाए गए प्रमाणपत्रों काे संबंधित विभाग द्वारा भी आनलाइन माध्यम से सत्यापित किया जाएगा।

नई व्यवस्था में आवेदन के लिए बच्चे और अभिभावक का आधार कार्ड भी अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं विद्यालयों द्वारा पात्रों को प्रवेश देने में लापरवाही पर भी कार्रवाई का प्रविधान किया गया है। निजी स्कूलों में प्रवेश न मिलने की शिकायतें मुख्यमंत्री के जनता दरबार में उठती रही हैं।

खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर में कुछ बच्चियों का निजी स्कूल में प्रवेश मिल पाया। इसी अनुभव के बाद ये बदलाव किए गए हैं।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा मंगलवार को जारी शासनादेश के मुताबिक, आरटीई के तहत आवेदनों का आनलाइन पोर्टल के माध्यम से दो स्तर पर सत्यापन किया जाएगा। अभी तक इसका सत्यापन खंड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी करते थे। अब इसमें विभागीय जांच भी शामिल कर दिया गया है।

संबंधित विभाग ने प्रमाणपत्रों को अस्वीकार किया तो आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह आनलाइन होगी। फर्जी दस्तावेजों (आय, जाति आदि प्रमाणपत्र) के आधार पर दाखिला कराने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं गलत सत्यापन करने वाले संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।

शैक्षणिक सत्र शुरू होने से चार माह पहले ही जिला स्तर पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। जिन निजी स्कूलों में पूर्व प्राथमिक शिक्षा दी जाती है, वहां 25 प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित होंगी। प्रवेश का वार्षिक लक्ष्य, जिले में सभी निजी विद्यालयों की न्यूनतम प्री-प्राइमरी या कक्षा एक की सीटों के योग का 25 प्रतिशत होगा।

स्कूलों को अपनी खाली सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। पहले की तरह सभी चयनित बच्चों की सूची सार्वजनिक की जाएगी। अभिभावकों को किताब और ड्रेस खरीदने के लिए हर साल पांच हजार रुपये सीधे बैंक खाते में मिलेंगे।

स्कूल द्वारा आवंटित बच्चे को बिना कारण प्रवेश न देने पर उसकी मान्यता रद्द हो सकती है। प्रवेश मिलने के बाद स्कूल को बच्चे की जानकारी आरटीई पोर्टल और यू-डायस पोर्टल पर दर्ज कर अपार आइडी बनानी होगी, तभी स्कूल को शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलेगा।

जिला स्तरीय अधिकारी, सभी प्रतिपूर्ति बिल और मांग पत्र का सत्यापन करेंगे। खंड शिक्षा अधिकारी हर तिमाही स्कूलों का स्थलीय निरीक्षण कर बच्चों की उपस्थिति जांचेंगे। इस वर्ष सभी जिलों में 1,85,675 सीटें आरटीई के तहत आवंटित हुई थीं, जिनमें से 1,40,062 बच्चों को प्रवेश मिला।

पहली बार अनुश्रवण समिति बनी

आरटीई में प्रवेश को लेकर सख्त निगरानी व्यवस्था की गई है। पहली बार जिला स्तर पर क्रियान्वयन और अनुश्रवण समिति बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे। प्रवेश संबंधी विवादों के निस्तारण के लिए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई है। आरटीई में जो प्रमाणपत्र लगाए गए हैं, उन्हें स्कूल भी आनलाइन पोर्टल पर देख सकेंगे।

आरटीई में ये कर सकेंगे आवेदन

  • वार्षिक आय एक लाख रुपये तक वाले सामान्य व अन्य श्रेणी के परिवार।
  • अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग।
  • अनाथ, निराश्रित, एचआईवी/एड्स व कैंसर पीड़ित अभिभावकों के बच्चे।
  • दिव्यांगजन परिवार।
  • आवेदन केवल www.rte25.upsdc.gov.in पोर्टल पर होंगे।
  • आयु सीमा (राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार)

नर्सरी: तीन से चार वर्ष

  • एलकेजी- (लोअर किंडरगार्टन): चार से पांच वर्ष
  • यूकेजी (अपर किंडरगार्टन): पांच से छह वर्ष
  • कक्षा एक: छह से सात वर्ष

हर वर्ग को समान अवसर मिलेगा

“सरकार की यह पहल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। अब कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि हर वर्ग को समान अवसर मिले।

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