आदिल तनहा (अवधनामा संवाददाता)
बाराबंकी। राजनीतिक बियावान में आज समाजवादी शिल्पी मुख्तार अनीस कहीं खो गए। उनके निधन से समाजवादी आंदोलन में शून्यता आ गई। मुख्तार अनीसीस समाजवादी आंदोलन के एक अनुभवी एवं वैचारिक राजनेता थे। उनका समाजवाद पर अध्ययन और लेखन इतिहास के कालखंड का दस्तावेज है। वह समाजवादी विचारधारा के प्रति अडिग राजनेता थे। जीवन के अंतिम दिनों तक वह समाजवादी बने रहे।
यह बात गांधी भवन में वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस के निधन पर आयोजित शोक सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही।
श्री शर्मा ने बताया कि समाजवादी आंदोलन का इतिहास बिना मुख्तार अनीस के अधूरा रहेगा। वह मेरी पीढ़ी के बचे चंद लोगों में शामिल थे। मुख्तार अनीस समाजवादी आंदोलन के कर्मठ, क्रियाशील और ओजस्वी राजनीतिक कार्यकर्ता थे। उनका समाजवादी लेखन युवा पीढ़ी को नई दिशा प्रदान करेगा। छात्र जीवन में सत्याग्रह और कई अन्य आंदोलनों में मुख्तार अनीस मेरे साथ जेल में बंदी रहे। वह आपातकाल के विरोध में भी बंदी रहे। मुख्तार अनीस समाजवादी आन्दोलन के ऐसे हस्ताक्षर थे जिसकी छाप अमिट है।
श्री शर्मा ने कहा कि मुख्तार अनीस के मामू चैधरी शिब्ते हसन रिजवी अकबरपुर में नगर पालिका के अध्यक्ष थे। उनका डॉ राममनोहर लोहिया से आत्मीय रिश्ता था। जिस कारण मुख्तार अनीस का छात्र जीवन में समाजवादी आंदोलन से जुड़ाव हो गया। 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ने के बाद वह समाजवादी युवजन सभा के महासचिव बनाए गए। डॉ लोहिया के अनुयायी मुख्तार अनीस के मधु लिमये, राजनरायन, एस एम जोशी, मुलायम सिंह यादव से घनिष्ठ रिश्ते थे।
सभा में प्रमुख रूप से मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, इफ्तिखार हुसैन, विनय कुमार सिंह, सत्यवान वर्मा, प्रद्युम्न सिंह, नीरज दुबे, सोनू यादव, अतीकुर्रहमान, मनीष सिंह, अनिल यादव, अभिषेक तिवारी, रंजय शर्मा सहित कई लोग मौजूद रहे।
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