हैरतअंगेज- संस्कृत पढ़ाने को आतुर शिक्षक को प्रिंसिपल की मनाही, वेतन लो पर पढ़ाओ मत

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अवधनामा संवाददाता

सिटी इंटर कालेज के प्रिंसिपल की हद दर्जे की मनमानी, वेतन जारी अन्य देय रोके

बाराबंकी। किसी भी विद्यालय के शिक्षक पर आम आरोप यही लगता है कि वह स्कूल नही जाता या फिर पढ़ाता नही है पर सिटी इंटर कालेज के एक अध्यापक के साथ ठीक उल्टा मामला है। यह अध्यापक पढ़ाना तो चाहता है पर स्कूल के प्रिंसिपल को यह स्वीकार नही। तुर्रा यह कि वेतन लो पर स्कूल न आओ, अब अध्यापक अपना दायित्व याद कर स्कूल जा रहा तो उसके अन्य देय रोक रखे गए हैं। खास बात यह कि डीआईओएस से लेकर प्रबंधन के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्रिंसिपल की मनमानी चरम पर है। हैरत की बात यह है कि 20 महीने से जांच को गठित समिति की जांच भी अभी पूरी नही हो सकी है।
पहले प्रकरण पर गौर किया जाए। सिटी इंटर कालेज के संस्कृत विषय के सहायक अध्यापक अभय कुमार का कहना है कि विद्यालय शिक्षण की समय सारणी में उनका नाम संस्कृत शिक्षण कार्य हेतु नहीं दर्शाया गया है। यह सब एक साजिश का हिस्सा है, पहले साजिश रचकर 28 अप्रैल 2022 को निलम्बित करा दिया गया, पुनः 30 मई 2022 को बहाली के बाद भी ज्वाइन नहीं कराया गया। 6 अगस्त 2022 को ज्वाइन कराया गया लेकिन उसके उपरान्त उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर व शिक्षण कार्य नही करने दिया गया। लगभग 10 महीने बिना हस्ताक्षर और बिना शिक्षण कार्य के वेतन दिया जाता रहा। एक जनवरी को जिला विद्यालय निरीक्षक के दखल पर हस्ताक्षर करने दिया गया। परन्तु शिक्षण कार्य से वंचित रखा गया है। यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। शिकायत की जांच के लिए बनी समीति को लगभग 20 महीने हो गये है परन्तु न तो जांच समिति में बुलाया गया है और न ही समिति द्वारा जांच रिपोर्ट ही प्रस्तुत की गयी है। प्रबन्धन की अनुमति के बाद भी वेतनवृद्धि, अवशेष वेतन, बोनस आदि रोका गया है। कहा जाता है कि पूरा वेतन मिल रहा है, वेतन लेते रहो और आराम से कुर्सी पर अकेले बैठो वरना स्कूल से चले जाओ। पीड़ित शिक्षक ने प्रिंसिपल की मनमानी के खिलाफ माध्यमिक शिक्षा निदेशक, बेसिक के निदेशक से लेकर आला अधिकारियों से फिर न्याय की गुहार लगाई है।

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