हमीरपुर में एक सौ छह साल की बुजुर्ग महिला के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। क्योंकि वर्षों से तीस मिनट के योग और प्राणायाम से इसने बुढ़ापे को भी मात दे दी है। इनके पति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। तीन पीढ़ी के संयुक्त परिवार में पैंतीस लोग है जिन पर आज भी इस बुजुर्ग महिला का हूकुम चलता है।
हमीरपुर जिले के कुरारा क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव की रहने वाली विजय कुमारी पिछले कई दशक से हमीरपुर शहर के पटकाना मुहाल में रहती है। इनके पति डॉ.जयकरण सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जिन्होंने अंग्रेजों से मोर्चा लिया था। अंग्रेजी हूकुमत के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने पर बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। इन्हें शारीरिक यातनाएं दी थी। कई बार जेल भी गए थे फिर भी अंग्रेजों के खिलाफ हल्ला बोलने से ये पीछे नहीं हटे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ.जयकरण सिंह की पत्नी 106 साल की उम्र पार कर चुकी है। फिर भी ये अपना सारा काम खुद ही करती है।
पांच बेटों की मां विजय कुमारी दादी और परदादी बन चुकी है। इनके परिवार एक ही बड़े घर में आज भी रहता है। संयुक्त परिवार में पैंतीस लोग है जिनमें सात लोग बाहर रहते हैं। बुजुर्ग विजय कुमारी ने बताया कि योग और प्राणायाम करने के कारण पिछले कई सालों से स्वस्थ है। सभी लोगों को बीमारी से बचने के लिए योग जरूर करना चाहिए। बताया कि नई पीढ़ी के बच्चे योग नहीं करते हैं, इसीलिए वह जवानी में ही बूढ़े दिखने लगते हैं। खेलने कूदने की उम्र में ही नौजवानों के सिर के बाल तक नहीं बचे हैं।
उम्र के आखिरी पड़ाव में नहीं ली चश्मे की मदद
सभासद प्रतिनिधि बउवा ठाकुर ने बताया कि दादी एक सौ छह साल की उम्र में भी कभी चश्मा नहीं लगाया है। बिना चश्मा के ही वह अपना सारा काम खुद ही करती है। बताया कि दादी और परदादी बनने के बाद भी तीस से ज्यादा सदस्यों के संयुक्त परिवार में बड़ा अनुशासन है। दादी का आज भी सभी छोटे बड़े लोगों पर हूकुम चलता है। घर के बच्चों के साथ ये दिन भर मस्त रहती हैं। विजय कुमारी ने बताया कि प्रतिदिन बीस से तीस मिनट तक योग और कुछ आसन्न करने से मन को बड़ी शांति मिलती है। नियमित प्राणायाम करने से आज भी आंखों की रोशनी कम नहीं हुई।
तीसरी पीढ़ी के लिए मिसाल बनी विजय कुमारी
बुजुर्ग विजय कुमारी अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों के लिए मिसाल बन चुकी है। इसके सामने ही बेटों और उनके बेटों व बेटियों की शादी सम्पन्न हुई है। ये नाती, पोते के साथ ही दादी से परदादी भी बन चुकी है। इनके बड़े पुत्र राजेन्द्र सिंह ने बताया कि मां पिछले दो दशक से रोजाना योग करती है। इसीलिए उन्हें चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती है। खाने पीने में भी कोई परहेज नहीं है। घर में जो भी खाने को मिला उसे बड़े चाव से ये खाती हैं। शाम को ये गाय का दूध भी लेती हैं। बताया कि इतनी उम्र के बाद भी सुपारी खाती हैं। ये सरौते से मजबूत सुपारी को खुद ही काटती हैं।