Thursday, May 2, 2024
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मेटा ने झूठी खबरों के प्रसार के विरुद्ध जागरूकता पैदा करने के लिए‘नो व्हाट इज़ रियल’ कैंपेन शुरू किया

दिल्ली: मेटा ने एक एकीकृत सुरक्षा कैंपेन ‘नो व्हाट इज़ रियल’ शुरू किया है। यह कैंपेन आज के डिजिटल दौर में झूठी खबरों और गलत जानकारियों से लड़ने के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने की कोशिशों का हिस्सा है। इसका लक्ष्य सबसे बेहतरीन डिजिटल पद्धतियों को प्रोत्साहन और सुरक्षा के उपलब्ध साधनों (टूल्स) को चिन्हित करके यूजर्स को व्हाट्सऐप और इन्स्टाग्राम पर झूठी खबरों को पहचानने तथा उनसे निपटने के लिए शिक्षित करना है।

8 सप्ताह तक चलने वाले इस कैंपेन में व्हाट्सऐप पर ब्लॉक और रिपोर्ट, फॉरवर्ड लेबल्स जैसे इन-बिल्‍ट प्रोडक्‍ट फीचर्स तथा सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया है। इन उपायों से यूजर्स को झूठी खबरों को चिन्हित करने और इन्‍हें आगे फैलने से रोकने की क्षमता हासिल होती है। साथ ही, लोगों को संदेहजनक या गलत लगने वाली जानकारी को व्हाट्सऐप चैनलों पर फैक्ट-चेकिंग (तथ्य जाँचने वाले) संगठनों के जरिये वेरीफाई करने का प्रोत्साहन मिलता है।

इन्स्टाग्राम पर मेटा ने सूचना के सत्यापन के लिए फैक्ट-चेकर्स के मजबूत नेटवर्क के साथ गठबंधन किया है। अगर डीपफेक्स जैसा कुछ झूठ पाया जाता है तो वे ऐप में वार्निंग लेबल्स लगा देते हैं जिससे लोगों को पता चल जाता है कि यह सटीक नहीं है। हम अपने फैक्ट-चेकर्स द्वारा “झूठा” (फॉल्स) लेबल लगाए गए कंटेंट की पहुँच को भी सीमित कर देते हैं ताकि कम से कम लोग ही इसे देख सकें। इस कैंपेन के माध्यम से मेटा लोगों को किसी अप्रामाणिक कंटेंट को फॉरवर्ड या शेयर नहीं करने और सूचना को वेरिफाई करने के लिए इसे शिकायत अधिकारी या किसी निष्पक्ष फैक्ट-चेकर पार्टनर्स के पास रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

भारत में मेटा के फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम में 11 स्‍वतंत्र फैक्ट-चेकिंग संस्‍थानों के साथ साझेदारियां शामिल हैं जो दुनिया भर में फैक्ट-चेकिंग पार्टनर्स के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है। इन पार्टनर्स के पास हिंदी और अंग्रेजी सहित 15 भारतीय भाषाओं में कंटेंट की सत्यता की जाँच करने की क्षमता है। ये लोगों को मेटा प्लैटफॉर्म पर जानकारी की पहचान, समीक्षा और सत्यापन करने में समर्थ बनाते हैं और गलत या झूठी जानकारी को फैलने से रोकते हैं।

इस कैंपेन की शुरुआत के बारे में शिवनाथ ठुकराल, डायरेक्टर, पब्लिक पॉलिसी इंडिया, मेटा ने कहा कि, “मेटा ऑनलाइन गलत जानकारी और झूठी खबरों का मुकाबला करने के लिए वचनबद्ध है। हमने उद्योग-अग्रणी प्रोग्राम्स, जैसे कि निष्पक्ष फैक्ट-चेकर्स के मजबूत नेटवर्क की स्थापना में निवेश किया है। यह नेटवर्क झूठे दावों का पर्दाफ़ाश करने और नागरिकों को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने में मदद पहुँचाने के लिए काम करता है। हमने एआई-जनरेटेड झूठी खबरों को रोकने के लिए एक व्हाट्सऐप टिपलाइन आरम्भ करने के लिए एमसीए के साथ सहयोग भी किया है। यह कैंपेन झूठी खबरों और कंटेंट का प्रसार रोकने के हमारे निरंतर प्रयासों का विस्तार है और इसका मुकाबला करने के लिए लोगों को उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करने का एक सरल सेफ्टी गाइड है।”

अभी पिछले सप्ताह ही कंपनी ने एआई-जनरेटेड गलत जानकारियों, विशेषकर डीपफेक्स का मुकाबला करने और लोगों को सत्यापित एवं विश्वसनीय जानकारी से जोड़ने के प्रयास में, एक समर्पित फैक्ट-चेकिंग हेल्पलाइन ऑन व्हाट्सऐप को लॉन्‍च किया है। मेटा थर्ड-पार्टी फैक्ट चेकर्स के लिए एक सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गनाईजेशन (एसआरओ) की स्थापना करने के लिए क्रॉस-इंडस्ट्री और बहु-हितधारक द्वारा संचालित मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायन्स (एमसीए) पहल का समर्थन करता भी है।

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