कोरोना ने छीन लिया हिन्दी गीतों का राजकुमार

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अवधनामा ब्यूरो

नई दिल्ली. कोरोना ने सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ. कुंवर बेचैन को छीन लिया. उनकी पत्नी संतोष कुंवर अभी अस्पताल में एडमिट हैं. वर्ष 1942 की पहली जुलाई को पैदा हुए कुंवर बेचैन कवि सम्मेलनों की सफलता की गारंटी माने जाते थे.

कोरोना संक्रमित होने के बाद डॉ. कुंवर बेचैन और उनकी पत्नी संतोष कुंवर को दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित सूर्या अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सूर्या में उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें आनंद विहार स्थित कोसमोस अस्पताल में भर्ती किया गया.

डॉ. कुंवर बेचैन की हालत लगातार बिगड़ रही थी और उन्हें वेंटीलेटर की ज़रूरत पड़ रही थी. कुमार विश्वास ने जब कुंवर बेचैन की गंभीर स्थिति पर ट्वीट किया तो सांसद महेश शर्मा ने उन्हें कैलाश अस्पताल में भर्ती कराकर उनके लिए वेंटीलेटर की व्यवस्था कराई लेकिन वेंटीलेटर भी उनकी जान को बचा नहीं पाया. उनकी पत्नी सूर्या में ही भर्ती हैं जहाँ उनकी हालत स्थिर है.

डॉ. कुंवर बेचैन के निधन की खबर आने के बाद शोक की लहर फैल गई. डॉ. कुमार विश्वास ने लिखा कोरोना से चल रहे युद्ध क्षेत्र में भीषण दुखद समाचार मिला है. मेरे कक्षा गुरु, मेरे शोध आचार्य, मेरे चाचा जी, हिन्दी गीतों के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ. कुंवर बेचैन ने अभी कुछ देर पहले ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान किया. कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया.

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मुरादाबाद के एक गाँव में पैदा हुए डॉ. कुंवर बेचैन गाज़ियाबाद के नेहरु नगर में रहते थे. डॉ. कुंवर बेचैन अपने गीतों के ज़रिये देश भर में चाहे और सराहे जाते थे.

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