Thursday, August 21, 2025
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स्टेप काउंट से ज्यादा वॉक करने के तरीके पर ध्यान देना है जरूरी, योग एक्सपर्ट ने बताई सही तकनीक

10000 स्टेप्स को एक जादुई आंकड़ा माना जाता है। कई लोग ऐसा मानते हैं कि इतने स्टेप्स चलकर वे खुद को हेल्दी रख सकते हैं। हालांकि एक्सपर्ट के अनुसार स्टेप्स से ज्यादा चलने के तरीके पर ध्यान देना जरूरी है। आइए योग एवं फिटनेस एक्सपर्ट ईरा त्रिवेदी से जानें क्या है वॉक करने का सही तरीका।

चलना सबसे स्वाभाविक क्रिया है। स्वस्थ रहने ‘के भारी-भरकम तरीकों से अलग इसे सबसे आसान माना जाता है (Walking Benefits)। अगर प्रतिदिन 10,000 कदमों के लक्ष्य पूरा कर लेना ही आपको उपलब्धि लगती है, तो इससे आगे की सोचने की जरूरत है।

द लांसेट के अध्ययन की मानें तो किसी खास को लेकर ज्यादा चिंता करने के बजाय उस पर अमल करना जरूरी है। कदमों की सटीक संख्या जरूरी नहीं, पर कंसीसटेंसी और चलने के सही तरीके (Right Way to Walk) को फॉलो करना जरूरी है।

फिटनेस में व्यावहारिकता बहुत आवश्यक

व्यस्त दिन में नियमित रूप से 10,000 कदमों के लक्ष्य कदम पूरा कर पाना सबके लिए संभव नहीं है। लांसेट के हालिया अध्ययन में 7,000 कदमों के लक्ष्य को भी व्यावहारिक माना गया है, यानी आप प्रतिदिन 7,000 कदम चलकर भी कैंसर, हृदयरोग, डिमोशन जैसी बीमारियों से बचे रह सकते हैं।

स्वास्थ्य का आधार

अगर आप प्रतिदिन चलने की आदत डाल लेते हैं तो अपनी सेहत के लिए बड़ा उपकार कर सकते हैं। इससे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कई तरह के हृदय रोगों की आशंका कम होती है। यहां तक कि अवसाद को भी दूर रखने में यह उपयोगी उपाय है। वर्ष 2021 में ‘जामा’ नेटवर्क ओपन स्वास्थ पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार, सात हजार से दस हजार कदम चलने वाले मध्यम आयुवर्ग के वयस्कों में मौत का जोखिम 50-70 प्रतिशत कम हो जाता है।

समझें माइंडफुल वॉकिंग को

टहलना गतिमान अवस्था है, पर यह आपके भीतर एक ठहराव लाता है। माइंडफुल वॉकिंग का चलन बढ़ रहा है, जिसमें आपको सांस पर ध्यान टिकाने के लिए कहा जाता है चलते समय प्रकृति से जुड़ने की कोशिस करनी चाहिए। हवा का चलन पतियों की सरसराहट को महसूस करने से तनाव दूर होता है और आपके सोच में स्पष्टता आती है जो लोग ध्यान करते समय फोकस होने में कठिनाई महसूस करते हैं, उन्हें इस तरह के उपायों का लाभ मिलता है।

क्यों करें इंटरवल वॉक?

जर्नल ऑफ अप्लाइड फिजियोलाजी के अनुसार जिन्होंने तीन मिनट के तेज वाक के बाद धीरे वॉक किया और हर तीस मिनट पर इसे दोहराया, उन्हें कई स्तरों पर लाभ मिलता है। पांच माह तक इंटरवल वॉक करने की यह तकनीक अपनाने से पैरों की मांसपेशियों में मजबूती, ब्लड प्रेशर में सुधार के साथ फिटनेस स्तर बेहतर हुआ।

इंटरवल वॉकिंग से हृदयगति बेहतर होती है, स्टेमिना बढ़ता है, फैट बर्न करने में मदद मिलती है। यह आपके जोड़ों की सेहत में भी सुधार लाता है।

यह तरीका है असरदार

एक मिनट तेज दौड़ें। इसके बाद दो मिनट धीरे चलें। इस क्रिया को 20-30 मिनट बाद दोहराएं। धीरे व तेज दौड़ने का यह तरीका आपको एक नई ऊर्जा दे सकता है।

बड़े काम के ये माइक्रो-मूवमेंट

चलना शरीर के लिए अच्छा है। शरीर के संपूर्ण अंगों को दुरुस्त रखने के लिए आपको हर दस मिनट में माइक्रो- मूवमेंट करना चाहिए। ये आपको सक्रिय रखने के साथ शरीर और मन के बीच संतुलन साधने में सहायक हो सकते हैं।

  • 10 बार पालथी मारकर बैठें-उठें। यह आपकी कमर की सेहत के लिए अच्छा है।
  • 10 बार कंधे घुमाने का अभ्यास तनाव से निकलने में मदद करेगा।
  • कुछ मिनट गहरी सांस लेने का अभ्यास फिर से ऊर्जा एकत्रित करने में सहायक है।

कहां से आया 10,000 कदम का सिद्धांत

10,000 कदम लगभग आठ किलोमीटर के बराबर होते हैं। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए यह दूरी अलग-अलग हो सकती है। यह कदमों की लंबाई और चलने की गति के अनुसार बदलती है। जो तेज चलते हैं वे लंबे कदम रखते हैं। दस हजार कदम का आंकड़ा 1960 के दशक में जापान की एक मार्केटिंग अभियान से उपजा। वर्ष 1964 टोक्यो ओलंपिक से पहले एक पेडोमीटर लांच हुआ था- ‘मैनपो-के’, जिसका अर्थ है- 10,000 कदम | इससे यह चलन में आ गया।

बस पांच मिनट ग्रीन एक्सरसाइज

यदि आप प्रकृति के बीच रहकर हरियाली भरे पार्क या किसी ऐसे स्थान पर सैर करते हैं तो इसके ढेरों लाभ हैं। इससे मनोदशा में सुधार होता है, आप स्व के प्रति सजग बनते हैं। बस पांच मिनट की ग्रीन एक्सरसाइज आपके नर्ब्स सिस्टम पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव डालती है। सुबह या शाम के समय वाक करने की आदत आपकी नींद को भी बेहतर करने में मदद करती है।

टहलते समय रखें ध्यान

  • वाक करते समय अपने पोश्चर का ध्यान रखें। आगे की ओर झुकने से बचें। फोन न देखें।
  • टहलते या दौड़ते समय अगर आपका पोश्चर गलत रहता है तो क्रोनिक दर्द की समस्या हो सकती है।
  • चलते समय
  • अपने चिन को अंदर रखें। ऊपर या नीचे की ओर न देखें। अपने कंधे को धीरे से पीछे ले जाएं।
  • अपने बाजू को स्वाभाविक लय में बने रहने दें।
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