सिद्धार्थनगर। जनपद में लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) से गोवंशों की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. ने पशुपालकों से अपील की है कि वे समय से अपने पशुओं का टीकाकरण अवश्य कराएं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी कैप्रिपॉक्स वायरस से होती है, जो खून चूसने वाले मच्छर, मक्खी, किलनी और जूं जैसे परजीवियों द्वारा फैलती है।
डीएम ने स्पष्ट किया कि यह एक नॉन-जूनोटिक बीमारी है, यानी यह इंसानों में नहीं फैलती, बल्कि केवल पशुओं को प्रभावित करती है। संक्रमित पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी यह स्वस्थ पशुओं में फैल सकती है। दूषित पानी, चारा, दूध उत्पादन में कमी, थन व नाक से स्राव निकलना, चारा खाने में अरुचि और गर्भपात जैसे लक्षण इस बीमारी की पहचान हैं।
उन्होंने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए पशुओं के बाड़े को साफ-सुथरा रखना, मच्छर-मक्खी और किलनी आदि से सुरक्षा करना और संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना बेहद जरूरी है। सबसे प्रभावी उपाय टीकाकरण है। यह टीका पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।
डीएम ने पशुपालकों से कहा कि पशुओं को संतुलित आहार दें और उनके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखें। यह बीमारी यदि समय से नियंत्रित नहीं की गई तो 2 से 10 प्रतिशत तक मृत्यु दर दर्ज हो सकती है। ऐसे में बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है। उन्होंने सभी पशुपालकों से अपील किया कि अपने पशुओं को लम्पी स्किन डिजीज का टीका अवश्य लगवाएं।