इस झुलसा देने वाली गर्मी में जहां आमजन को सलाह दी जा रही है कि शरीर में पानी की कमी न होने दें। ओआरएस सहित तरल पेय पदार्थों का सेवन करते रहें लेकिन यह राय छह माह तक के बच्चों के लिए सही नहीं है। उनके लिए मां का दूध ही पर्याप्त है।
एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य के अनुसार छह माह तक के बच्चों को गर्मी के मौसम में भी ऊपर से पानी पिलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि माँ के दूध में लगभग 90 फीसदी पानी होता है। ऊपर का पानी देने से बच्चे में डायरिया या जलजनित बीमारी जैसे पीलिया या अन्य तरह के संक्रमण की आशंका रहती है। ऐसे में बच्चा कमजोर हो सकता है। इसका सीधा असर उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा और वह बार-बार बीमार पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि बच्चे का पेट छोटा होता है और जल्दी-जल्दी खाली भी होता है। ऐसे में बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर स्तनपान कराना चाहिए न कि पानी पिलाना चाहिए। माँ का दूध अमृत है और बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार है। माँ के दूध में रोग प्रतिरोधक एवं पोषक तत्व उचित मात्रा में होते हैं जो शिशु को स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाने में सहायक होते हैं।
डॉ. पियाली के अनुसार नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। माँ का पहला गाढ़ा व पीला दूध जिसे कोलस्ट्रम कहते हैं यह जरूर से नवजात को देना चाहिए क्योंकि यह अत्यंत पोषक एवं रोग निवारक होता है। यह नवजात के लिए पहला टीका है। यदि किसी कारणवश माँ स्तनपान नहीं करा पा रही है तो माँ का ही दूध निकालकर कटोरी और चम्मच से पिलाएं। बोतल से दूध कतई न दें क्योंकि यह बीमारियों को दावत देते हैं। छह माह तक केवल स्तनपान मां की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसमें पिता, दादी और अन्य परिजनों की अहम भूमिका है। सबके सहयोग से ही शिशु के लिए केवल स्तनपान सुनिश्चित किया जा सकता है।