सीसीटीवी की निगरानी और कड़ी चौकसी का दावा

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अवधनामा संवाददाता

मगर जिला अस्पताल में धड़ल्ले से लिखी जा रही बाहर की दवा

अयोध्या। शासन-प्रशासन के निर्देश की बावजूद मरीजों की जेब ढीली करने के लिए चिकित्सक बाहर की दवा लिखने से बाज नहीं आ रहे। दावा तो सीसीटीवी कैमरे की निगरानी और कड़ी चौकसी का किया जा रहा है, लेकिन हालात जस के तस है। नवागत कार्यवाहक सीएमएस नरेंद्र प्रसाद गुप्ता चिकित्स्कों के रवैये पर कोई अंकुश लगा पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं अलबत्ता उन्होंने अस्पातल परिसर में सूचनाओं पर सेंसर जरूर लगा दिया है। वैसे तो समय समय पर जिला अस्पताल के डाक्टरों और सर्जन की ओर से बाहर की महंगी दवाओं को लिखे जाने का मामला सामने आता रहा है। कई बार मरीजों व तीमारदारों तथा अन्य की ओर से अस्पताल प्रशासन से लेकर शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई और कई बार जाँच के लिए समिति भी बनी लेकिन हर बार परिणाम सिफर ही रहा। अब फिर से जिला अस्पताल के चिकित्स्कों की ओर से बाहर की दवा लिखे जाने का मामला प्रकाश में आया है। हाल यह कि मरीजों की जेब पर डाका डालने में अन्य स्टाफ भी पीछे नहीं हैं। एक महिला मरीज नीलम वर्मा पत्नी अशोक कुमार ने आर्थो सर्जन को दिखाया तो उन्होंने सरकारी दवा के साथ बाहर की तीन दवाएं लिख दीं। इतना ही नहीं आर्थोपेडिक्स विभाग में ही खुद को दिखाने पहुंचे भरतराज सिंह पुत्र बाबू रोशन सिंह को फिजियोथेरपिस्ट ने भी 4 दवाएं बाहर की लिख दीं। हाल इतना ही नहीं है बल्कि पेट में दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल पहुंचे जनाना अस्पताल रोड निवासी मरीज राम गोपाल को ड्यूटी पर तैनात फिजिशियन ने सरकारी के अलावा दस दिन के लिए सनविट,विजिलाक सीरप और स्काटलिव डीएस नामक दवा लिख दी।
यह हाल तब है जब स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बाहर किन दवा लिखने पर सख्त पाबंदी लगा रखी है। गत वर्ष मार्च माह में इसी तरह के प्रकरण में एक पत्रकार से डाक्टर का विवाद भी हुआ था और मामले की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076,प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक समेत मुख्यालय से की गई थी।

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