नई दिल्ली। पिछले महीने साउथ अफ्रीका में हुई ब्रिक्स की बैठक में शामिल होने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जब 9-10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में आने से इनकार कर दिया तो इसे भारत के लिए एक बड़े झटके के रूप में माना जा रहा था। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन पहले ही दिल्ली आने से इनकार कर चुके थे। ऐसे में जिनपिंग की गैर-मौजूदगी से आशंका थी कि भारत के अध्यक्षता में हो रही जी-20 की बैठक अपना महत्व खो देगी। लेकिन शिखर सम्मेलन समाप्त होते-होते हालात पूरी तरह बदल गए। भारत वैश्विक स्तर पर अपनी लीडरशिप की छाप छोड़ने में कामयाब हो गया, जबकि चीन ने कई बड़े मौके गंवा दिए।
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