ललितपुर। हमारे भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सदैव कृषकों के हितों की बात होती चली आ रही है। उनके केंद्रीय मंत्री मंडल में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सदैव किसानों के हितों की बात करते है लेकिन किसानों के हितों की बात करने बाले नेताओ को देश मे चल रही गतिविधियों पर नजर नही है। हमारे भारत में कई फसलों की पैदाबार होती है, जिसमे उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश में प्रमुखता से पीली मटर का उत्पादन होता है। वही हमारे उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड पिछड़ा हुआ क्षेत्र है, जहां मध्यम वर्गीय एवं लघु कृषकों द्वारा पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है।
अधिकांश किसानों के द्वारा रवी की फसल में पीली मटर और गेहूं की बुआई की जाती है, यहां पैदा होने बाली पीली मटर की फसल प्रमुख है जिसका किसानों द्वारा प्रमुखता से उत्पादन किया जाता है लेकिन पिछले तीन वर्षों से कनाडा से पीली मटर का बड़ा स्तर पर आयात लगातार भारतीय किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। इस आयात के कारण घरेलू उत्पादन का दाम गिर गया है, जिससे देश के दाल उत्पादक किसानों को लागत भी नहीं निकल पा रही है, और उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है।
कनाडा से पीली मटर का आयात
भारत ने 2024 में लगभग 30 लाख टन पीली मटर का आयात किया, जिसका लगभग 50त्न कनाडा से आया,आयातित पीली मटर पर शून्य (0 प्रतिशत) आयात शुल्क लगने की नीति 2026 तक बढ़ा दी गई है, जिससे इसकी भारी आमद हुई है।
शून्य आयात शुल्क के चलते पीली मटर के भारतीय किसानों की कमर टूटी
सरकार ने यह नीति मुख्यत: खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और उपभोक्ताओं के लिए दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनाई है,जिसके चलते भारतीय किसानों पर प्रभाव भारी आयात के चलते घरेलू बाजार में चना, मसूर व अन्य दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चले गए हैं,इस परिस्थिति में किसानों के उत्पादन की लागत भी नहीं निकल पा रही है, जिससे किसान ऋण के बोझ और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं विदेशों से हो रहे आयात से घरेलू उत्पादन के प्रति उदासीनता बढ़ी है, जिससे भविष्य में भारतीय दाल आत्मनिर्भरता भी कमजोर पड़ रही है,अधिकांश किसानों ने इस वर्ष अपनी फसल रोक कर रखी है या अगली फसल की बोनी नही करी जा रही है क्योंकि यहां का मौसम और जलवायु मटर के उत्पादन के अनुरूप है लेकिन मटर की कीमत बाजार में ना मिलने से किसानों पर संकट खड़ा हो गया है।
जनप्रतिनिधियों द्वारा आवाज ना उठने से नाराज हुये देश के सृजनकर्ता
ललितपुर गल्ला मंडी के व्यापारी एवं पत्रकार गौरव जैन बताते है कि लगातर दो वर्षों से देश मे विदेशी उत्पादन का आयात किया जा रहा है जिससे हमारे भारत में खाद्यान्न की दरें एमएसपी के नीचे चली गई है,किसानों का कहना है कि जब हमारे भारत में पर्याप्त मात्रा में दलहन का उत्पादन हो रहा है तो फिर क्यों विदेशों से शून्य आयात शुल्क पर आयात किया जा रहा है,यह गंभीर समस्या है फिर भी किसी जनप्रतिनिधि द्वारा आज तक इस विषय पर कोई आबाज नही उठाई है,किसानों के वोट लेते समय बड़ी-बड़ी बातें करने बाले नेता और किसान यूनियन के नेताओं द्वारा किसी प्रकार की आबाज पीली मटर के लाखों किसानों के हित मे नही उठाई जा रही है,जिससे पूरे बुंदेलखंड सहित भारतीय किसानों में बड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है।