भीटी,अंबेडकरनगर उप निबंधक कार्यालय भीटी में तैनात अनवर बाबू का ट्रांसफर लगभग 12 वर्षों बाद हुआ था, लेकिन हैरानी की बात ये कि स्थानांतरण आदेश रहस्यमयी ढंग से रद्द भी हो गया। खुद अनवर बाबू भी नहीं समझ पाए कि उनका ट्रांसफर किन ‘कर्मों’ या ‘कनेक्शन’ से कैंसिल हुआ!एक ही जिले के उपनिबंधक कार्यालय में लगातार 12 वर्षों तक डटे रहना और फिर जब कभी स्थानांतरण हुआ भी, तो उसका कैंसिल हो जाना, कहीं न कहीं शासन-प्रशासन की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।ज्ञात हो कि अनवर बाबू का पैतृक आवास भी जनपद अंबेडकर नगर में ही है।
ऐसे में वर्षों तक एक ही ज़िले में तैनाती पाना और फिर ट्रांसफर के आदेश का रद्द हो जाना — क्या यह मात्र संयोग है या कोई मज़बूत ‘जुड़ाव’ का फायदा?सूत्रों की मानें तो लंबे समय से यह कार्यालय स्थानीय प्रभाव और पहुंच वालों के लिए ‘सुरक्षित जोन’ बना हुआ है, जहां बदलाव की कोई जल्दी नहीं दिखती।प्रश्न उठता है कि —जब प्रदेश भर में पारदर्शिता के नाम पर हर विभाग में समयबद्ध स्थानांतरण की नीति लागू है,तो फिर भीटी उप निबंधक कार्यालय इसका अपवाद क्यों?क्या यह मामला शासन की ‘स्थानांतरण नीति’ की अनदेखी नहीं है?या फिर यहां ‘कुर्सी की पकड़’ बाकी नियमों से ज़्यादा मजबूत है?जनता जवाब चाहती है — क्योंकि एक ही जगह की लम्बी तैनाती अक्सर ‘पैरेलल सिस्टम’ को जन्म देती है, और प्रशासन में यही सबसे बड़ा खतरा होता है।





