अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पॉलिटेक्निक ने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) एवं पेटेंट फाइलिंग पर एक आनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें 109 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपी) का शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग में विशेष स्थान है। उन्होंने विश्वविद्यालय में आईपीआर के क्षेत्र में जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया और विश्वविद्यालय पॉलिटेक्निक के प्राचार्य, प्रोफेसर अरशद उमर और आयोजन टीम को बधाई दी।
प्रोफेसर परवेज़ मुस्तजाब (डीन, फैकल्टी आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी) ने देश के विकास में आईपीआर की भूमिका पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर मुन्ना ख़ान (अध्यक्ष, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया) ने बौद्धिक संपदा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जबकि विशिष्ट अतिथि श्री मुहम्मद इमरान खान ने नवाचार को अपनाने पर बल दिया।
श्री पंकज पी बोरकर (उप निदेशक, पेटेंट एवं अध्यक्ष, राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी मैनेजमंेट, नागपुर) ने आईपीआर की रूप रेखा प्रस्तुत की जबकि सुश्री पूजा मौलिकार ने पैटंेट से संबंधित कानून तथा पैटेंट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। श्री ललित और सुश्री श्रुरूति कोशिक ने पैटेंट के इतिहास पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने प्रतिभागियों के प्रशनों के उत्तर भी दिये।
प्रोफेसर अरशद उमर ने इस अवसर पर कहा कि पॉलिटेक्निक में एक एडवांस डिप्लोमा तथा डिप्लोमा इंजीनियरिंग के 9 पाठ्यक्रम संचालित हैं तथा सेंटर फार प्रोफेशनल कोर्सेज के चार पाठ्यक्रम शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से शुरू होंगे। उन्होंने आईपीआर के महत्व पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम के समन्वयक श्री शमशाद अली ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला जबकि सहायक समन्वयक गुलाम वारिस खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन सैयदा फहीम ने किया।