Thursday, May 2, 2024
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HomeUttar Pradeshbandaएक गांव ऐसा भी जहां पर नहीं बही विकास की गंगा

एक गांव ऐसा भी जहां पर नहीं बही विकास की गंगा

अवधनामा संवाददाता

विकास के लिए ग्रामीण कर रहे सत्याग्रह

बांदा। देश की आजादी के 76 साल होने के बाद भी,अभी भी एक गांव ऐसा है जहां पर नही बही विकास की गंगा,विकास के लिए ग्रामीण महिलाएं बैठ गई हैं सत्याग्रह में।बांदा मंडल मुख्यालय से मात्र 14 किलोमीटर दूर प्रयागराज रोड में स्थित महुआ ग्राम पंचायत का मजरा राजाराम के पुरवा विकास से कोसों दूर हैं। एक ओर देश व प्रदेश की सरकारें सब जगह विकास रूपी गंगा के बहने का दंभ भर रही हैं तो वही दुसरी ओर मंडल कहे या जिला मुख्यालय कहे वहां से मात्र 14 किलोमीटर की दूर पर तथा महुआ ब्लॉक मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत महुआ का मजरा राजाराम के पुरवा विकास से कोसों दूर हैं।राजाराम के पुरवा में सड़क स्कूल बिजली की मांगो को लेकर गांव की महिलाओं ने अनूठा सत्याग्रह आन्दोलन गुरुवार को दुसरे दिन भी जारी रखा। सत्याग्रह में बैठी महिलाओं ने एक स्वर में कहा की स्कूल सड़क, बिजली आंगनबाड़ी केंद्र प्रत्येक गांव की बुनियादी सुविधाएं है। इन्ही सुविधाओं से सशक्त समाज का निर्माण होता है किन्तु हमारे गांव का दुर्भाग्य है की यहाँ कुछ भी नहीं है।ग्रामीण महिला बंदना ने कहा कि हमारे देश की राष्ट्रपति महिला है,जिले की मुखिया जिलाधिकारी महिला है इन्होने बहुत संघर्ष करके इस मुकाम को हासिल किया होगा। इसीलिए हम गांव की सभी महिलाओं ने इनके संघर्षो से प्रेरणा लेकर अपने गांव के विकास के लिए संघर्षो के मार्ग पर निकल यह कदम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाएँगी द्यहम राष्ट्रपति को भी पत्र लिखकर अपने सत्याग्रह आन्दोलन से अवगत करायेंगे। उधर महिलाओं के सत्याग्रह में गांव के पुरुष व बच्चे भी समर्थन में खड़े हो गये हैं । गांव के पुरुषों व बच्चों ने दूसरे दिन अर्धनग्न होकर उपवास किया तथा महिलाओं के सत्याग्रह का समर्थन किया।ग्रामीण मनोज कुमार ने कहा की गांव में स्कूल नही है इस कारण से गांव का एक भी बच्चा स्कूल नही जा पाता है। सम्पर्क मार्ग के लिए वर्षों से शासन प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे है। सब विकास का दम्भ भरते हैं किन्तु जिस गांव की महिलाये अपने गांव में सड़क व स्कूल के लिए सत्याग्रह कर रही,स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा उनकी लगातार उपेक्षा करना आवाज को दबाने का प्रयास करना उनकी सामन्तवादी सोच को दर्शाता है द्य महिलाओं के इस सत्याग्रह में गांव के सभी पुरुष भी सहयोग में खड़े हो गये है अब महिलाओं को लोकहितकारी आवाज को दबने नहीं दिया जायेगा द्य उधर बानबाबा का पुरवा,भग्गू पुरवा, बिधातापुरवा माडीपुरवा भरता पुरवा,डगरा पुरवा,नीबी पिप्रहरी गांव की नीलम,अर्चना,सुधा, बिमला,सुनैना,मीरा,भोलिया, राजकुमारी,श्यामा,केता,सुमन आदि सैकड़ों महिलाओं ने अपने अपने गांव में बैठक कर सत्याग्रह कर रही महिलाओं का समर्थन किया तथा उनके समर्थन में गांव गांव में सत्याग्रह करने की रणनीत बनायीं द्य सत्याग्रह का नेत्रत्व कर रही बंदना ने कहा की सत्याग्रह से जुड़ी महिलाओं का जत्था जल्द ही लखनऊ को प्रस्थान करेगा उसके लिए सत्याग्रही महिलाओं का प्रतिनिधि मंडल गांव गांव में जाकर अपनी समस्याओं के विषय में लोगों को बतायेगे तथा लोगों का समर्थन मांगेगे । श्यामकली ने कहा की जल्द ही पूरे कार्यक्रम की रूप रेखा हम सभी के साथ शेयर करेंगे।इस मौके पर नीलम देवी,राजकुमारी, रीनू देवी,सुभन देवी,बन्दना, विमलादेवी,तारा,बिटोला,प्रीती, केसर,गीता,कुन्ता,बीनू, गुलखन, सोनम सहित सैकड़ों महिलाएं उपस्थित रही।
राजाराम के पुरवा में कुल 49 परिवार रहते हैं जिसमें से 4 घर सामान्य जाति के हैं तथा 45 घर अनुसूचित जाति तथा जनजाति के हैं जिसमें से लगभग 200 लोगों का एक मजरा है।विकास के नाम पर इस मजरें में मात्र एक टूटी हुई एक पक्की सड़क हैं जो प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत दशकों साल पहले बनी हुई थी।बिजली कि व्यवस्था है। शिक्षा के नाम पर न ही कोई आंगनबाड़ी केंद्र है और न ही कोई सरकारी स्कूल हैं।ग्रामीणों ने बताया कि उनके छोटे छोटे बच्चे महुआ गांव में बने सरकारी स्कूल में नही जा रहे हैं क्योंकि राजाराम के पुरवा से महुआ तक जाने में एक ओर रेलवे की मानव क्रासिंग है तो दूसरी ओर नहर हैं। यहां के लोगों का जीवन यापन मजदूरी करके चलता है।

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