लखनऊ (Lucknow) हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रामउग्रह शुक्ला जब से Lockdown घोषित किया गया 125 दिनों से लगातार भूखे असहाय संकटग्रस्त लोगों, कोरोना रक्षक पुलिसकर्मियों सहित कोरौना समाजसेवियों यहां तक कि रिक्शा वालों सफाई कर्मियों प्रेस मीडिया से संबंधित लोगों सहित सभी लोगों के बीच में जाकर आवश्यक खाद्य सामग्री एवं मास्क सेनीटाइजर दवा आदि का वितरण किया है, इसके बावजूद अगर भविष्य में किसी भी प्रकार की सेवाओं की जरूरत किसी भी लाचार मजबूर व्यक्ति को पड़ेगी तो मैं निरंतर सेवा में हाजिर रहूंगा यह मेरा संकल्प है मैं एक ब्राह्मण हूं और मेरा कर्तव्य है कि समाज में कोई भी अगर परेशानी में है तो उसकी मदद की जाए मेरी कोई राजनैतिक इच्छा नहीं है ना ही मैंने कोई कार्य किसी प्रयोजन से किया है मेरा उद्देश्य केवल लोगों के बीच में सेवा भाव से उपस्थित रहना है और जरूरतमंदों की मदद होती रहे यही मेरा परम उद्देश्य है इसे तू सड़कों पर हजारों किलोमीटर से चलकर आ रहे भूखे प्यासे मजदूरों और जगह जगह पर जिनके पास भोजन नहीं था और सरकारी सहायता से वंचित है ऐसे लोगों को खोज कर उनकी आवश्यक मदद करना मैंने अपना कर्तव्य समझा था क्योंकि उन परिस्थितियों में लोगों के पास कोई रोजगार नहीं था और आर्थिक समस्या खड़ी हो जाने के कारण जरूरी खाद्य सामग्रियां खरीद पाने में असमर्थ हो चुके थे, इस अवसर पर श्री शुक्ला ने सभी प्रेस वालों को बताया मैं बहुत ही साधारण व्यक्ति हूं और अपने सीमित संसाधनों से गरीब असहाय और असमर्थ लोगों की जो भी मदद कर पा रहा था उसको अपना सौभाग्य समझ कर मदद कर रहा था कि इस संकट काल में मुझको उनके सहायता का मौका मिला, मैं गांव और जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं मुझको जो अंतरात्मा की आवाज पर सही दिखाई देता है वह करने का प्रयास करता हूं और जैसे लॉकडाउन लगा और मैंने देखा कि भारी संख्या में मजदूर घर से निकल कर पैदल अपने गांव की ओर जा रहे हैं तो उनकी मदद करना मुझे अपना फर्ज लगा और जो भी मुझसे बंद होना मैंने 26 मार्च से उनकी मदद करने के लिए अपने मन में प्रण लेकर एक शुरुआत कर दी और समाज में सभी लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित भी करता रहा, क्योंकि मेरे पास बहुत बड़े संसाधन नहीं थे कि हर आदमी के मदद के लिए खड़ा हो सकूं, यह हीरो बनने का वक्त नहीं सेवा करने का वक्त था, डर के आगे जीतने का वक्त था,सरकार भी व्यक्तियों पर आधारित है, हर व्यक्ति तक सरकार नहीं पहुंच सकती है, इसलिए हर व्यक्ति को निकल कर ऐसे लोगों की मदद करनी थी जो परेशान थे और जिनकी समस्या कोई सुनने वाला नहीं था, इसीलिए ऐसे स्थानों का भी चयन करना था जहां आसानी से लोग नहीं पहुंच सकते हैं या तो जिन लोगों की ओर लोगों का ध्यान आसानी से नहीं जाता है,
हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रामउग्रह शुक्ला ने की भूखे असहाय संकटग्रस्त लोगों की मदद
यह एक ऐसी समस्या थी जो अचानक पैदा हुई और देश को lockdown की ओर बढ़ना पड़ा और यह समय 125 दिनों पर आकर अब जब ऐसी कोई आवश्यकता नहीं रह गई है तो मैंने निर्णय लिया कि अब आवश्यकता पड़ने पर ही पुनः लोगों की सहायता करने का कार्य शुरू करूंगा , मैंने अपने परिवार व स्वयं के लिए खराब समय के लिए कुछ सेविंगस कर रखी थी, मुझे लगा कि अभी मेरे ऊपर संकट नहीं है लेकिन जो लोग संकट से गुजर रहे हैं और उनके पास इससे बचने का कोई उपाय नहीं है उनकी मदद के लिए अपनी सेविंगस को खर्च कर दिया जाए, संक्रमण गंभीर है और बचाओ ही इसका उपाय है मैंने खुद को सुरक्षित रखते हुए लोगों की जो भी मदद बन पड़ी किया, lockdown सरकर ने बहुत सही समय पर करके लोगों को सचेत करदिया है और अगर सब लोग उसका पालन करते तो संक्रमण को बढ़ने का मौका ही ना मिलता, लेकिन आज भी स्थिति गंभीर हो चुकी है, इस तरीके से संक्रमण फैल रहा है और इसकी कोई दवा अभी तक नहीं बन पाई है, सुरक्षित लाखडाउन इसका उपाय है, कोरोना एक नई बीमारी है, और लोगों को इसकी आदत नहीं है लेकिन इसके जो भी उपाय है जो भी गाइडलाइन है उसका 100% पालन चाहे समझाकर चाहे कड़ाई से कराने की आवश्यकता है, मैंने देखा है लॉकडाउन खुलने के बाद ऐसा लगता है जैसे लोग स्वच्छंद हो चुके हैं, लोग गंभीरता से इसको नहीं ले रहे हैं, और सरकार ने भी एक तरीके अपने हिसाब से लोगों को समझा कर आत्मनिर्भर छोड़ दिया है , सोशल डिस्टेंसिंग टेस्टिंग और लोगों से बहुत आवश्यकता पर घर से निकलने के माध्यम से ही इस संक्रमण से छुटकारा मिल सकता है यह कार्य किया जाना चाहिए हमने किसी का अब तक किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं लिया हूँ ख़ुद किया हूँ
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