80 हजार बच्चों में कैंसर के नए मामले

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महामारी का असर कैंसर से जूझ रहे बच्चों पर भी पड़ा है। इलाज, दवाएं और थैरेपी बाधित हुईं। इलाज में 50 फीसदी तक गिरावट आई। यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि बच्चों में कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल (Indraprastha Apollo Hospital ) के पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. गौरव खारया (Dr. Gaurav Kharaya ) कहते हैं, बच्चों में सबसे ज्यादा मामले ल्यूकीमिया (Leukemia) के होते हैं। यह एक तरह का ब्लड कैंसर (Blood cancer) है।

आज इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (International Childhood Cancer Day ) है, इस मौके पर जानिए किन बच्चों में कैंसर का खतरा ज्यादा है और कौन से लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाना चाहिए…

खबर पढ़ने से पहले ये जानिए कि देश और दुनिया में इसके मामले कितने बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर दिन 1 हजार बच्चों में कैंसर के मामले सामने आते हैं। बचपन में होने वाले कैंसर का इलाज संभव है। भारत (India) में हर साल 70 से 80 हजार बच्चों में कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। इसमें से 35 से 40 फीसदी ल्यूकीमिया (Leukemia) के होते हैं। यह एक ब्लड कैंसर है। पिछले पांच सालों में दिल्ली के बच्चों में होने वाले कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।

डॉ. गौरव (Dr. Gaurav ) कहते हैं, महामारी के दौरान पेरेंट्स बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में झिझकते रहे। नतीजा, ऐसे मामले कैंसर की एडवांस स्टेज की ओर बढ़ रहे हैं। कैंसर के मरीजों का इलाज रुकना नहीं चाहिए क्योंकि इनकी रोगों से लड़ने की क्षमता पहले ही कमजोर हो चुकी होती है। ऐसी स्थिति में अगर कोरोना (Corona) हुआ तो जान का जोखिम बढ़ सकता है।

थकान होना, बुखार रहना, हड्‌डी और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, उल्टियां करना ब्लड कैंसर के कुछ खास लक्षण हैं। इसके अलावा बेहोश हो जाना, रात में पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ होना और वजन का तेजी से घटना इस बात का इशारा है कि आपको तत्काल डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।

डॉ. गौरव  (Dr. Gaurav ) ने बताया, इस कैंसर की वजह क्या है, साफतौर पर यह सामने नहीं आ सकी है। ब्लड टेस्ट, बोन मेरो बायोप्सी, एमआरआई, सीटी स्कैन कराकर कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

बच्चों में होने वाले कैंसर के कुछ मामले फैमिली हिस्ट्री के कारण हो सकते हैं। जैसे रेटिनोब्लास्टोमा यानी आंख में कैंसर। इसकी रोकथाम के लिए जेनेटिक टेस्टिंग करवाई जा सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग के जरिए अगले बच्चे में कैंसर की आशंका का पता लगाया जा सकता है। बचाव के तौर पर अच्छा खानपान और साफ-सफाई रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि, पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि कैंसर से बचाव के ये सटीक उपाय हैं या नहीं।

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