शासन स्तर से गोरखपुर की डीएचएस को पूरे प्रदेश में मिली पहली रैंक
अप्रैल से जुलाई के बीच सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव बढ़ा
नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा का लाभ लेने वाली गर्भवती की संख्या भी बढ़ी
गोरखपुर। जिले में सेहत से जुड़े संकेतांकों को लेकर अच्छी खबर है। गोरखपुर की जिला स्वास्थ्य समिति (डीएचएस) को पूरे प्रदेश में पहली रैंक मिली है। साथ ही जिले में इस साल अप्रैल से लेकर जुलाई के बीच सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव भी बढ़ा है। इस अवधि में ई-रूपी बाउचर के जरिए नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा का लाभ लेने वाली गर्भवती की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। सीएमओ डॉ राजेश झा ने इसके लिए सभी को बधाई देते हुए अपेक्षा की है कि स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार के यह प्रयास जारी रहने चाहिए।
सीएमओ डॉ झा ने बताया कि पूरे प्रदेश के डीएचएस की बैठकों की कार्यवृत्ति सहित अन्य संकेतांकों के आधार पर डीएचएस की रैंकिंग की जाती है। इस रैंकिंग में 71.41 फीसदी अंकों के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 में गोरखपुर को पूरे प्रदेश में पहला स्थान मिला है। इस रैंकिंग में शासकीय निकाय की बैठकों, नियमित टीकाकरण संबंधी डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स की बैठकों और जिला ऑडिट कमेटी के बैठकों के स्कोर शामिल हैं।
सीएमओ ने बताया कि जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। अप्रैल माह में जहां सरकारी अस्पतालों में 2062 संस्थागत प्रसव हुए थे, वहीं जुलाई तक यह संख्या 3603 हो गयी। जिले में सरकारी चिकित्सा इकाइयों में जहां अप्रैल में 478 सी-सेक्शन डिलेवरी हुई थी, वहीं अगस्त तक यह संख्या बढ़कर 1075 हो चुकी है। ई-रूपी बाउचर के जरिए अप्रैल में 2411 गर्भवती ने सम्बद्ध निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर से नि:शुल्क सुविधा प्राप्त की थी। जुलाई में यह संख्या बढ़कर 4710 हो चुकी है।
सीएमओ ने कहा कि निरंतर बैठकों और पर्यवेक्षण के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार के प्रयास जारी हैं। हमारा प्रयास है कि आशा कार्यकर्ता की मदद से शत-प्रतिशत गर्भवती का प्रसव पूर्व जांच सरकारी चिकित्सा इकाई पर हो। साथ ही उनका प्रसव भी सरकारी अस्पताल पर ही हो। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की 01,09,16 और 24 तारीख को कैंप लगा कर गर्भवती की जांच विशेषज्ञ चिकित्सक से कराई जा रही है। इस दौरान उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान कर उनके सुरक्षित प्रसव के लिए समुचित प्रबंधन भी किए जा रहे हैं। अप्रैल से जुलाई तक 28970 गर्भवती की अभियान के दौरान जांच की गयी। इनमें से 2864 उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली गर्भवती की पहचान हुई, जिनका नियमित फॉलो अप जारी है।


 
                                    


