नगर विधायक, नगर पालिका के होते हुए भी बदकिस्मत सतोखर तालाब

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काश धनोखर व नागेश्वरनाथ तालाब की तरह सतोखर पर भी इनायत होती जिम्मेदारों की नजर

(अवधनामा संवाददाता आदिल तन्हा)

बाराबंकी। यकीनन शहर के एक छोर पर बना सतोखर तालाब अपनी किस्मत को लेकर रोना रोता होगा, रोना यह कि काश उसका भाग्य धनोखर तालाब या नागेश्वरनाथ तालाब की तरह तेज होता तो वह केवल कूड़ा, गन्दगी फेंकने भर की जगह और अवैध कब्जों की चपेट में न होकर आमजन को सुकून दे रहा होता। अब तो इस तालाब में मृत नवजात शिशु भी फेंके जाने लगे हैं। इस अविकास के लिए सदर विधायक और नगरपालिका को ही जिम्मेदार ठहराना उचित होगा, क्योंकि नगर के अनियोजित विकास की जवाबदेही इन्ही के माथे है, वैसे यह तालाब नगर विधायक के घर से अधिक दूर भी नही है और कुछ ही दूर उनका कार्यालय भी है, पर उनकी नजर आज तक नहीं पड़ी। अब यह क्षेत्र नगर पालिका परिषद की सीमा क्षेत्र में भी आ चुका है।
नाका सतरिख से बड़ेल जाने वाले मार्ग पर स्थित सतोखर तालाब की न पहचान किसी से कम है और न ही महत्व। कद और दायरे में भी यह शहर के उन तालाबां की बराबरी करता है (हालांकि गुजरे कुछ वक्त में अतिक्रमणकारियो ने सतोखर तालाब पर भी गिद्ध दृष्टि गड़ा दी है और कुछ भाग पर कब्जा भी हो चुका है।) जो आज बड़ा बजट खर्च होने के बाद शहर के आकर्षक स्थानां में शुमार किए जा रहे हैं। सतोखर तालाब का इतिहास और पहचान धनोखर तालाब के जैसी ही है। बस सबसे बड़ी कमी यह रही कि नगर पालिका परिषद से लेकर जनप्रतिनिधियो की नजरें इस जगह पर इनायत नहीं हुईं वरना यह जगह भी शहर की शोभा बढ़ा रही होती और सुबह व शाम यहां पर आमजन का जमावड़ा होता। जिस तरह धनोखर तालाब, नागेश्वरनाथ तालाब का जीर्णाद्धार, उद्धार करने के लिए लाखां रूपए खर्च किए गए, दशक से भी अधिक समय से दोनों स्थानां के कायाकल्प व इन्हे आकर्षक बनाने के लिए प्लान बनते रहे और समय समय पर शासन से धनराशि भी अवमुक्त होती रही, उसका कुछ प्रतिशत भी सतोखर तालाब पर खर्च हो जाता तो आज तस्वीर ही कुछ और होती। उपेक्षा व बदहाली का दंश झेल रहे सतोखर तालाब को बेशक अपने अन्य साथियों की सुंदरता से ईर्ष्या हो रही होगी या फिर शहर के विकास का जिम्मा लिए नगर पालिका परिषद व नगर विधायक पर क्रोध आ रहा होगा, जिनके होते हुए सतोखर तालाब बद से बदतर हालात में है।
वर्तमान में तालाब की स्थिति बहुत ही खराब है। आलम यह है कि आस पास बसे इलाकां की गंदगी, कूड़ा, गंदा पानी तो इस तालाब में डाला ही जा रहा है, वहीं नजदीक ही सृजित हुए निजी अस्पतालां की गंदगी भी इस तालाब में पहुंचाई जा रही, यही नहीं इसी तालाब में दो मृत नवजात शिशुओं के शव भी बरामद किए जा चुके हैं। एक तालाब की इतनी दुर्दशा अब तक देखी नहीं गई। इस तालाब की बदतर हालत तब है, जब यह इलाका नगर पालिका परिषद क्षे़त्र में शामिल हो चुका है और थोड़ी ही दूरी पर सदर विधायक का आवास भी है। मान लिया जाए नगर पालिका परिषद सतोखर तालाब के विकास व सुंदरीकरण को लेकर अक्षम साबित हो रहा हो पर सदर विधायक के क्षेत्र में तो शहर भी आता है और यह तालाब उनके घर से अधिक दूर भी नहीं है। थोड़ी ही दूरी पर उनका कार्यालय भी बना हुआ है। उनकी निधि में हर साल करोड़ों रूपए आते हैं, इसके बावजूद इस जगह को आज तक उपेक्षित रखा गया। वह दूसरी बार विधायक हैं, चाहते तो कुछ लाख रूपए इस उपेक्षित, बदहाल व सुनसान जगह के लिए जारी कर सकते थे पर ऐसा नहीं हुआ। नतीजा यह है कि वर्तमान में सतोखर तालाब अतिक्रमण की चपेट में है, शक्ल और बदतर होती जा रही है। यही दशा रही तो यह तालाब भी कागजो पर ही नाम दर्ज कराएगा।

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