सर्दियों में गाय और भैंस के बछड़ों में पेशाव रुकने की समस्या बहुत ज़्यादा देखने को मिलती है और पशुमालिकों को जानकारी के अभाव में सही से इलाज़ नही मिल पाता, जिसकी वजह से कई बछड़ों की मौत भी हो जाती है। आज कल इस समस्या का निदान ट्यूब सिस्टोस्टोमी(Tube Cystostomy) जो कि एक शल्य चिकित्सा तकनीक है, द्वारा सफल इलाज़ किया जाता है।इस तकनीक में कैथेटर को ब्लैडर में पास कर दिया जाता है जिसके बाद पशु का पेशाव इस कैथेटर के माध्यम से आना शुरु हो जाता है और कुछ ही दिनों तक दवाई करने के बाद अपने कुदरती रास्ते से पेशाब आने लगता है और तब उसका कैथेटर निकाल दिया जाता है।
शहर के वरिष्ठ पशु शल्य चिकित्सक डॉ विराम वार्ष्णेय ने बताया कि ज़्यादातर लोगों को इस तकनीक के बारे में मालूम नही है जब इस तरह की समस्या होती है तो पशुमालिक उसे मथुरा पशु विश्विद्यालय इलाज कराने के लिए ले जाते हैं।डॉ विराम ने बताया कि अब वह इस ऑपरेशन को अपनी क्लीनिक पर करते है और पशुपालकों को अपने पशु को मथुरा या और कहीं ले जाने के लिए परेशान नही होना पड़ता।
डॉ विराम ने इस साल पिछले 2 महीने में करीब 25-30 सर्जरी इस समस्या के लिए की हैं।
उन्होंने बताया कि बछिया में यह समस्या बहुत ही कम देखने को मिलती है मगर बछड़ो में मूत्र नली के घुमावदार हिस्सा होता है जिसे सिग्मोइड फ्लेक्सर(sigmoid flexure) बोलते हैं पर रेतीली पथरी जमा हो जाती है जिससे इनका पेशाव रुक जाता है।
पथरी सर्दियों में पशु के कम पानी और असंतुलन खाने पीने की वजह से हो जाता है।
गांव में जानकारी के अभाव में पेशाव उतारने का इंजेक्शन उपयोग में लाया जाता है पेशाव रुके होने के कारण पेशाव का दबाब पेशाव की थैली (Bladder) पर पड़ता है और अंदर ब्लैडर फट जाता है और कई दिनों तक पेशाव अंदर रुकने के कारण संक्रमण फैल जाता है जिसके कारण इन बछड़ो की जान भी चली जाती है।
डॉ विराम ने सभी पशुमालिकों से अपील कि है कि जब कभी भी उन के पशुओं का पेशाव रुकने की समस्या उत्पन हो तो जितनी जल्दी इसकी शल्य चिकित्सा वह करवाएंगे उतनी जल्दी सफलता उन्हें मिलेगी देरी होने पर अंदर संक्रमण फैल जाता है, सर्जरी करवाने के लिए वह अपने नजदीकी सरकारी पशु अस्पताल में संपर्क करें या फिर उनसे संपर्क कर सकते हैं।
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