Tuesday, October 28, 2025
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धर्म की सच्ची ताकत: धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं

प्रेमानंद महाराज के लिए मुस्लिम भाइयों का प्यार भरा समर्थन

आलम रिज़वी

आज के दौर में जब दुनिया चारों तरफ नफरत और बंटवारे की बातें करती है, वहां एक ऐसी मिसाल खड़ी हो रही है जो दिल को छू जाती है। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज, जो भगवान कृष्ण की भक्ति में डूबे हुए हैं, इस समय किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनकी तबीयत को देखकर लाखों भक्त चिंतित हैं, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में मुस्लिम समुदाय का उनका साथ देखकर लगता है कि धर्म कभी तोड़ने का काम नहीं करता, बल्कि जोड़ने का माध्यम बनता है। प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के राधे-राधे केली कुंज आश्रम में रहते हैं। वे राधा-कृष्ण की भक्ति सिखाते हैं और लाखों लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से वे पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (एक गंभीर किडनी समस्या) से पीड़ित हैं।

रोजाना डायलिसिस हो रही है, उनके चेहरे पर सूजन है और हाथों पर पट्टियां बंधी हुई हैं। आश्रम से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, उनकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वे आंखें खोलकर भक्तों से बात कर रहे हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह से स्वाश्य स्वस्थ्य नहीं हैं। प्रेमानंद जी महाराज लोगों को जो भी उपदेश देते हैं हमेशा लोगों की भलाई की ही बात करते हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं जिसकी वजह से आज देश के सभी लोग उनके लिया दुआ कर रहे हैं। जब प्रेमानंद महाराज की बीमारी की खबर फैली, तो हिंदू भक्तों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय ने भी कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया। यह देखकर लगता है कि इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती।

कुछ खास उदाहरण ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए-

प्रयागराज के एक मुस्लिम युवक सुफियान इलाहाबादी मदीना शरीफ पहुंचे। वहां उन्होंने प्रेमानंद महाराज की फोटो हाथ में लेकर अल्लाह से उनकी शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ मांगी। वीडियो में वे कहते दिखे, “इंसान सिर्फ इंसान होता है, न हिंदू न मुसलमान।” यह वीडियो लाखों लोगों के दिलों को छू गया। अजमेर शरीफ दरगाह में मुस्लिम भक्तों ने प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य के लिए चादर चढ़ाई। यह खालसा दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की है, जहां हर धर्म के लोग आते हैं।

यह प्रार्थना 2025 के मध्य अक्टूबर में हुई, और यह वैश्विक समर्थन का प्रतीक बनी। लखनऊ के मुस्लिम समुदाय ने दादा मियां दरगाह पर चादर चढ़ाकर महाराज जी की रिकवरी की प्रार्थना की। स्थानीय लोगों ने कहा, “समाज को ऐसे लोग चाहिए जो मानवता की बात करें, धर्म की नहीं।” यह घटना हाल ही में हुई और एकता का सुंदर संदेश दे रही है। ये सभी घटनाएं दिखाती हैं कि जब कोई संकट आता है, तो धर्म की दीवारें टूट जाती हैं। प्रेमानंद महाराज ने हमेशा कहा है कि भक्ति इंसान को जोड़ती है, और आज मुस्लिम भाई उनके इस संदेश को जी रहे हैं।

धर्म को देखकर कई बार लगता है कि वह झगड़ों का कारण बनता है। लेकिन प्रेमानंद महाराज की यह मिसाल साबित करती है कि असल में धर्म प्यार, करुणा और एकता सिखाता है। मदीना, अजमेर, लखनऊ ये जगहें अलग-अलग धर्मों की हैं, लेकिन प्रार्थना एक ही है: किसी की भलाई के लिए। यह दिखाता है कि अल्लाह, राम, कृष्ण सभी एक ही सत्य के नाम हैं। जब मुस्लिम भाई हिंदू संत के लिए दुआ मांगते हैं, तो यह साबित होता है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।

समाज को ऐसी कहानियों से सीखना चाहिए कि नफरत फैलाने वाले कुछ लोग हैं, लेकिन ज्यादातर लोग जोड़ने वाले हैं। प्रेमानंद महाराज जैसे संत हमें याद दिलाते हैं कि सबको गले लगाओ। प्रेमानंद जी महाराज जल्दी स्वस्थ हों, यही हमारी कामना है। उनके जैसे संतों की वजह से ही भारत की विविधता चमकती है। मुस्लिम समुदाय का यह समर्थन न सिर्फ महाराज जी के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। आइए, हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि धर्म हमेशा जोड़ने का काम करे।

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