Thursday, May 2, 2024
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यूएस अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट नूलैंड और ईएएम जयशंकर के बीच हुई बात, चर्चा में शामिल रहे ये मुद्दे

नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अमेरिका के राजनीतिक मामलों की उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच भारतीय उपमहाद्वीप और भारत-प्रशांत मामलों पर चर्चा हुई। जयशंकर ने ट्वीट किया, आज सुबह अमेरिका के राजनीतिक मामलों की उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड से मिलकर खुशी हुई। भारतीय उपमहाद्वीप, भारत-प्रशांत और हमारे संबंधों में कई पक्षों पर अच्छी बातचीत हुई।
नेपाल, श्रीलंका और कतर की यात्रा पर नूलैंड
अमेरिकी विदेश विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि अपनी भारत यात्रा के दौरान नूलैंड अमेरिका-भारत वार्षिक विदेश कार्यालय परामर्श का नेतृत्व करेंगी। इसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की पूरी श्रृंखला शामिल है। इसके अलावा वो युवा तकनीकी लीडर्स के साथ भी मुलाकात करेंगी। नूलैंड 28 जनवरी से 3 फरवरी तक भारत, नेपाल, श्रीलंका और कतर की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगी।
श्रीलंका में अमेरिकी समर्थन की करेंगी पेशकश
मेरिकी विदेश विभाग की विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्रीलंका पहुंचने पर अवर सचिव अमेरिका-श्रीलंका संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगी। साथ ही वो अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और सुलह को बढ़ावा देने के लिए श्रीलंका के प्रयासों के लिए निरंतर अमेरिकी समर्थन की पेशकश करेंगी।
अफगानिस्तान के पुर्नवास पर कतर के समर्थन पर चर्चा
अंत में वो अवर सचिव यूएस-कतर सामरिक वार्ता के भाग के रूप में कतर में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगी। अमेरिकी विदेश विभाग की विज्ञप्ति में कहा गया है कि वो अमेरिका से संबंधों के साथ अफगानों के पुनर्वास के लिए कतर के अहम समर्थन पर चर्चा करने के लिए समकक्षों से भी मिलेंगी। इसके साथ-साथ अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए हमारे द्विपक्षीय समझौते पर भी चर्चा करेंगी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा पर रहेगा जोर
अमेरिकी प्रशासन ने पिछले साल अपनी लंबे समय से प्रतीक्षित हिंद-प्रशांत रणनीति की घोषणा की थी। दस्तावेज में क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक क्षमता के निर्माण पर फोकस किया गया है। इनमें चीन की चुनौतियों पर ध्यान देना, अमेरिकी संबंधों को आगे बढ़ाना, भारत के साथ एक प्रमुख रक्षा साझेदारी और क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका का समर्थन करना शामिल है।

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