जिले में 126 गोवंश आश्रय स्थलों पर संरक्षित गोवंशों से अधिक गोवंश सीवानों, बागों और बस्तियों में टहल रहे हैं।ये गोवंश रात में फसलों को चौपट कर रहे हैं।शाम के समय इन पशुओं के सड़कों पर खड़े होने और लम्बे समय तक डेरा डालने के कारण दुर्घटनाओं के खतरे बढे हुए हैं। फसलें चौपट होने से किसान खून के आंसू रो रहे हैं।
मंगलवार को हथकिला के ओमप्रकाश यादव ने खंड विकास अधिकारी को बताया कि सौ पशु उनके गांव में डेरा जमाए हुए हैं। उनकी चार बीघा धान की फसल नष्ट कर चुके हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई है। उनको पोर्टल से मेसेज भेजा गया है। खंड विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी को समस्या के समाधान की जिम्मेदारी दी गई है। अभी तक कोई नहीं गया।इस ग्राम पंचायत के ग्राम पंचायत अधिकारी के पास ए डी ओ पंचायत का भी प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने अभी तक कोई टीम नहीं लगाई है।
भेंटुआ संवाद के अनुसार कमासिन में पचास से अधिक गोवंश रोज शाम को अम्बेडकर पार्क में डेरा जमा लेते हैं।फसल नष्ट करने के साथ रात में गांव में घुस जाते हैं और लोगों को सोने नहीं दे रहे हैं।
मुसाफिर खाना संवाद के अनुसार अवारा गोवंशों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। सभी गोवंश आश्रय स्थल गोवंशो से भरे हुए हैं कहीं भी जगह नहीं रह गई है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी और नोडल अधिकारी की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खंड विकास अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जामों संवाद के अनुसार अवारा गोवंशों की समस्या से पीड़ित किसानों की कोई सुनने वाला नहीं। किसान रात रात भर जाग कर जानवर खेद रहे हैं।
जगदीशपुर संवाद के अवारा गोवंश सड़कों पर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। सभी गोवंश आश्रय स्थलों पर बीमार होने पर पशुओं के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।
संग्रामपुर संवाद के अनुसार नुंवावा गोवंश आश्रय स्थल सबसे अधिक बदहाल है। यहां संरक्षित गोवंशों के मरने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी कभी गौर नहीं करते।गोवंशो के मरने पर उन्हें गो आश्रय स्थल के पास ही गाड़ दिया जाता है।
वृहद गोवंश आश्रय स्थल सरैया दुबान में 714गोवंश संरक्षित हैं। यहां हरे चारे का कोई इंतजाम नहीं है। बीमार होने पर पशुओं के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है।





