शिवभार गुर्जर संस्था की मासिक कवि गोष्ठी सम्पन्न

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स्थानीय प्रभात नगर, तेलीबाग स्थित शिवभार गुर्जर लखनवी संस्था के आचार्य पिंगल सभागार में संस्था की मासिक काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ बेअदब लखनवी की अध्यक्षता में सम्पन्न समारोह ने संस्था को एक नई ऊँचाई प्रदान की। वरिष्ठ कवयित्री  अनीता अरोड़ा मुख्य अतिथि, सुप्रसिद्ध शायर राजेश राज व गीतकार राम शंकर वर्मा विशिष्ट अतिथि,  प्रोफेसर बलवन्त सिंह अति विशिष्ट अतिथि रहे। समारोह का शुभारंभ माँ सुरसति की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण के साथ कुंवर आनन्द श्रीवास्तव की वाणी वन्दना व नीतू श्रीवास्तव की सुमधुर वाणी वन्दना से हुआ। प्रथम पायदान के रूप में युवा कवयित्री डॉ खुशबू गौतम ने बचपन की यादों को ताजा करते हुए सुनाया – नहीं कोई भी चिंता थी न कोई भी काम तो विमल बैरागी ने सुनाया – आस्तीन के सांपों से,गए संपेरे सभी हार। डॉ रामराज भारती फतेहपुरी ने सुनाया – अरि को धूल चटाने की खाते कसमें आज। कुंवर आनन्द श्रीवास्तव ने लखनऊ का नवाब होने का दावा ठोंकते हुआ पढ़ा – हम नवाब लखनऊवा हम नवाब लखनऊवा। प्रो. बलवंत ने अपनी गज़ल के हवाले से कहा – आँधियों को भी सलीके से गुज़रना पड़ता, उनके रस्ते में अगर घर तेरा पड़ता। कवि शैलेन्द्र ने दीपावली की यादों का पिटारा खोलते हुए पढ़ा – जगमग दीप जले हैं हवा में मिठाई की खुशबू है। गीतकार राम शंकर वर्मा ने बहुत ही सुंदर व प्रेरणा दायक नवगीत पढ़ते हुए कहा – घर से बाहर निकलो, जड़ें जमाओ, बढ़ना सीखो! जैसे रोपा हुआ धान बढ़ता है। शायर राजेश राज ने सुनाया – इश्क़ पेशा नहीं हमारा है।सिर्फ गुस्सा तेरा उतारा है। मुख्य अतिथि अनिता अरोड़ा ने कहा – इकरार भी तुम्हीं से, इज़हार भी तुम्हीं से। ये दिल है तुम्हारा और दिल्लगी भी तुमसे। समारोह अध्यक्ष पण्डित बेअदब लखनवी ने काट लो उंगली हमारी, गीत मैं न लिख सकूँ सुनाकर वाहवाही बटोरी। काव्य पाठ करने वाले अन्य साहित्यकारों में प्रेम श॔कर शास्त्री, प्रवीण पाण्डेय आवारा, डाॅ साहब दीन वर्मा, डाॅ चन्द्र भान चन्द्र, डाॅ नेहा कुमारी भदौरिया, राज कुमारी गुर्जर, योगाचार्या दीप्ति भूषन आदि ने समारोह में बढ़चढ़ कर भाग लिया और चुनिन्दा रचनाएँ सुनाकर सभी का  मन मोह लिया ।

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