शब-ए-बरात यानी गुनाहो से छुटकारे की रात

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Shab-e-Barat means night of redemption

सहारनपुर। शब-ए-बरात यानी गुनाहो से छुटकारे की रात। जिसमें मुस्लिमों ने अल्लाह से गुनाहों से तौबा मांगी। साथ ही पूरी रात कुरआन की तिलावत व नफिल नमाजों का अहतमाम किया गया। सजदे में सिर झुकाकर अल्लाह की हम्द ओ सना की तथा कब्रिस्तान जाकर अपने बुजुर्गों की मगफिरत की दुआ मांगी।

ईशा (रात) की नमाज के बाद मुस्लिम अल्लाह की इबादत में जुट गए। पहले अपने बुजुर्गों की कब्रों पर जाकर फतिहा पढ़ी। इसके बाद वहीं की मस्जिदों में नमाज और कुरआन की तिलावत की गई। शब-ए-बरात पर दिन में काफी संख्या में मुस्लिमों ने रोजा भी रखा। इबादत की रात होने की वजह से शहर के तमाम कब्रिस्तानों और मस्जिदों को रोशन कर दिया गया था। नीरगन शाह, कुतुबशेर, दबनी वाला, हिम्मतनगर, गोटेशाह, हाजी शाह कमाल आदि कब्रिस्तानों अकीदत मंदों का सैलाब उमड़ रहा था। तमाम मुस्लिम इलाकों की मस्जिदों में भी लोगों ने पूरी रात इबादत में गुजारी। शब-ए-बरात की वजह से प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। रुट डाइवर्जन के अलावा भारी संख्या में पुलिस कर्मियों को प्रमुख कब्रिस्तान के बाहर तैनात किया गया था। वहीं पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने हर स्थिति पर नजर रखी। नगर के सभी कब्रिस्तानों में लाईटों की व्यवस्था की गयी, जो आज शाम तक भी जारी थी। निगम अधिकारियों ने खुद जाकर कब्रिस्तानों में व्यवस्था का जायजा लिया। शब-ए-बारात के मौके पर महानगर में चारो ओर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रही। अपने पूर्वजो की कब्र पर फातिहा पढने पहुंचने वाले को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिये शाम से ही रूट डायवर्जन भी लागू कर दिया था।

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