Saturday, May 4, 2024
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अग्निवीर को शहीद का दर्जा न मिलने पर सियासत तेज

अवधनामा संवाददाता

कासर- सलामी न देने पर संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने उठाए सवाल

रायबरेली। राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के संस्थापक/अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने सरकार पर उठाए अग्निवीर सैनिक पर सवाल अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने जम्मू कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है फिलहाल अग्निवीर अमृतपाल सिंह ड्यूटी के दौरान गोली लगने से शहीद हो गए. वहीं सेना की ओर से उन्हें सलामी नहीं दिए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश से भी उठे सवाल संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अपने पिता के इकलौते बेटे थे जो दिसंबर 2022 में अग्निवीर बनकर भारतीय सेना में भर्ती हुए.जानकारी के अनुसार 10 अक्टूबर को गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई. वहीं अग्नीवीर अमृतपाल सिंह की मौत की खबर सुनकर पंजाब में शोक की लहर छा गई फिलहाल इस दौरान शहीद हुए सैनिक के शव को भारतीय सेना की ओर से सलामी नहीं दी गई. इस पर अब सियासत काफी गरमा गई है. इसे लेकर उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव कोटली कलां आया, जिसे 2 फ़ौजी भाई प्राइवेट एंबुलेन्स से छोड़कर गए जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए सलामी नहीं दी जाएंगी ‘फिर संस्था अंकित शुक्ला ने SSP साहब से बात कर पुलिसकर्मियों से सलामी दिलवाई. ये घटना साबित करती है कि अग्निवीर इसलिए बनाएं है ताकि शहीद का दर्जा ना दिया जाएं और फौज ख़त्म हो जाए. केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो शहीद का दर्जा नहीं दे रही अंकित शुक्ला ने बताया शहीदों का अपमान अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने भी अग्निवीर अमृतपाल सिंह को शहीद का दर्जा नहीं देने और उसे सेना की ओर से सलामी नहीं देने पर इसे शहीदों का अपमान बताया है. अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए पंजाब के अमृतपाल सिंह कश्मीर में देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए. शत् शत् नमन, ये विडंबना ही है कि अग्निवीर से भर्ती होना, उन्हें देश पर जान न्योछावर करने के कर्तव्य तो बता गया लेकिन एक शहीद को मिलने वाले सम्मान से उन्हें वंचित कर गया. शहीद अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई. उनका पार्थिव शरीर आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए. ये देश के शहीदों का अपमान नहीं तो और क्या है अध्यक्ष अंकित शुक्ल ने बताया जल्द ही देश व प्रदेश में अपनी संस्था के द्वारा सरकार को ज्ञापन देंगे समस्त जिलो से जिसने मांग करेंगे ऐसे शहीद सैनिकों को सम्मान किया जाए क्योंकि हमें लगता है आज के समय में सब राजनीति पर ध्यान दे रहे हैं ऐसे हमारे जवानों पर ध्यान कोई नहीं देता बहुत सारे सैनिक संगठन वा किसान संगठन बनने पर अभी तक किसी की आंखें नहीं खुली।

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