अतरौलिया/आजमगढ़। (Atraulia / Azamgarh) कोविड-19 एल-2 सौ शैय्या युक्त अस्पताल अतरौलिया के नोडल अफसर आवास विहीन है। गौरतलब हो कि सौ शैय्या युक्त अस्पताल अतरौलिया को कोविड-19 एल-2 के रूप मे स्थापित किया गया है किन्तु यह अस्पताल असुविधाओं का अभाव अभी तक झेल रहा है। यहाँ कोई डॉक्टर अपनी ड्यूटी नहीं लगवाना चाहता है अगर ड्यूटी लगा भी दी जाती है तो डॉक्टरों को रहने का प्रबंध भी नहीं मिलता ऊपर से मरीजों को बेहतर इलाज देने संबंधी दावे हर रोज जिला प्रशासन सरकार द्वारा समय समय पर किया जाता है किन्तु विफलाते हर रोज सरकारी अस्पतालों के दरवाजों पर दस्तक देकर बता जाती कि सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था कितनी सुदृढ़ है। ऊपर से लेकर नीचे स्तर तक सिस्टम किस तरह से मरणासन्न अवस्था में चल रही है यह किसी से छुपा नहीं है। किसी न किसी कमियों को लेकर रोना आज तक लगा हुआ है।
स्थानीय सौ शैय्या युक्त अस्पताल अतरौलिया जो एल-2 कोरोना हॉस्पिटल के रूप में स्थापित है। जिसमे कार्यरत नोडल अफसर डॉ० अली हसन को अभी तक आवास उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। जिससे उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनकी स्वयं की बच्ची कोरोना से पीड़ित है किन्तु इस अवस्था में भी ड्यूटी पर कर्तव्य परायणता के साथ डटे रहना काबिले तारीफ है।
बताते चलें कि कोविड-19 एल-2 अस्पताल अतरौलिया में नोडल अफसर डॉ० अली हसन पूरी ईमानदारी व लगन के साथ कोरोना मरीजों को अपनी सेवा दे रहे है। कोरोना मरीजों के तीमारदारों की परेशानियों को अच्छी तरह से सुनना और उसका त्वरित समाधान करवाना समय से मरीजों का उचित देखरेख कर उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराना, कोई अप्रिय घटना घटित होने पर उसके गम में शामिल होकर मानवता धर्म निभाना व आवश्यक प्रबंध कराना, कोविड से हुई मृत्यु पर अनाथ परिवारों का अभिभावक बन कर सांत्वना देना। नोडल अफसर डॉ० अली हसन की यह सम्पूर्ण विशेषताएं उन्हें खास बना रही है। अतरौलिया कोविड-19 एल-2 अस्पताल के तीमारदारों की डा० अली हसन पहली पसंद बने हुए है। डॉक्टर अली हसन एक बाल रोग विशेषज्ञ है। वे अपने किसी सहयोगी चिकित्सक के यहां रात गुजार रहे हैं अभी तक उन्हें सरकारी आवास मुहैया नहीं कराया जा सकता है।
मालूम हो कि संविदा कार्यरत चिकित्सक सरकारी आवास कब्जा किये हुए है जबकि संविदा चिकित्सकों को सरकारी आवास मे रहने की सुविधा प्राप्त नहीं है । वहीं एक चिकित्सक स्थानांतरित होकर अन्य जनपद चले गए हैं किंतु उनके द्वारा भी सरकारी आवास पर कब्जा बरकरार हैं।
पूछे जाने पर तमाम नियमों का हवाला दे दिया जाता है ऐसे में सरकारी आवास दिलाने की व्यवस्था अधर में बनी हुई है। पूछे जाने पर कोरोना का बहाना बनाकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे है। इस विश्वव्यापी कोरोना महामारी जैसी परिस्थिति में ड्यूटी पर लगे योद्धा चिकित्सकों को असुविधाओं के बीच अपने दायित्वों के निर्वाह करने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा यह एक जिम्मेदारी के साथ ड्यूटी करने वाला अधिकारी ही समझ सकता है।