Sunday, May 5, 2024
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विरोध प्रदर्शन में शामिल आरोपियों के साथ बेक़सूर लोगों के नाम, पते फोटो के साथ होर्डिंग

लखनऊ |  सीएए (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद यूपी सरकार ने तानाशाही कार्रवाई की है. सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर कुछ उपद्रवियों के पोस्टर के साथ शहर के धार्मिक गुरु, सामाजिक कार्यकर्ता, और बहुत से बेक़सूर लोगों के फोटो नाम और पते के साथ लिख कर आम व्यक्ति की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है और उन्हें उपदर्वी बता कर समाज के सामने पेश किया जा रहा है |

जिन लोगों को समाज का विशेष वर्ग उच्च दर्जे का मानता है समाज में ये व्यक्ति अपने कार्यों हेतु जाने और पहचाने जाते है इन लोगों का भविष्य में कभी किसी दंगे और लड़ाई झगडे में न हाथ रहा है और न कभी रहेगा |

गुरुवार देर रात शहर के विभिन्न स्थानों पर हुई होर्डिंग्स में मौलाना सैफ अब्बास, सेवानिवृत्त IPS दारापुरी और कई अन्य लोग शामिल थे, जिनमें कांग्रेस नेता सदफ जाफर भी शामिल थे, जो 19 दिसंबर की हिंसा के आरोपी थे। जिले के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश ने शुक्रवार को कहा कि लखनऊ जिला प्रशासन द्वारा हिंसा में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने के बाद, उनकी तस्वीरों और उनके नाम और पते शहर के कई स्थानों पर जमा किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे शहर में लगभग 100 होर्डिंग्स लगाए गए।

धार्मिक गुरु मौलाना सैफ अब्बास हो या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उपाध्यक्ष कल्बे सादिक के बेटे हो या फिर कांग्रेस नेता सदफ जाफ़र व अन्य समाजसेवी लोग जो शहर में अम्न व भाईचारा क़ायम रखने के लिए निस्वार्थ भाव से काम करते हैं | वह भला कैसे दंगाई हो सकते है | योगी सरकार को चाहिए कि पहले खुफया विभाग से समाज की इन जानी मानी शख्सियत की कुंडली निकालते तब मन गढ़त आरोप मंडते | सरकार दंगाइयों को बचाने के लिए इस तरह की घिनौनी करवाई कर रही है जो देश की सुख शांति के लिए उचित नहीं है |

जिन लोगों को बड़े बड़े होर्डिंग्स में दिखाया गया है उनमे से ज़्यादातर का कहना है के पुलिस साज़िश के तहत फँसा रही है हिंसा उन्होने नहीं की और न ही पुलिस कोई सुबूत पेश कर पा रही है.इस सिलसिले में मौलाना सैफ अब्बास और डॉक्टर कल्बे सिब्तैन नूरी ने 19 दिसंबर के दिन की वारदात का ज़िक्र एक वीडियो में किया है और क़ानूनी कार्रवाई की बात की है.

19 दिसम्बर को लखनऊ में पुलिसिया करवाई से जीवन भर की मेहनत की कमाई को लखनऊ की पुलिस ने बर्बाद किया घरों में घुस-घुस कर महिलाओं और बच्चों को मारा पीटा | घरों के सामान को तहस नहस किया बेगुनाहों को जेल भेजा, सदफ जाफर जो मीडिया का कार्य कर रही थी उनको ज़बरदस्ती जेल भेजा |

सरकार से अपना दर्द बयान न कर दें उससे पहले सरकार ने उनके धार्मिक गुरु और समाजसेवी लोगों पर ज़बरदस्ती के आरोप लगा कर उन पर करवाई के लिए उपदवियोँ की फोटो के साथ उनकी छवि बिगाड़ने की साज़िश रच ली इसकी जितनी निंदा की जाए कम है | लखनऊ के चौराहों पर लगाए जा रहे ये होर्डिंग्स सरकार के निकम्मे पन की गवाही दे रहे है. दंगाई आज भी आज़ाद घूम रहे है और बेक़सूर सलाखों के पीछे पहुंचाए जा रहे हैं |
लखनऊ से लेकर दिल्ली या फिर अन्य शहरों में जहां-जहां सीएए और इनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहें हैं वहां पुलिस इसी तरह की करवाई कर रही है | मुसलमानो पर अत्याचार केंद्र और राज्य की सरकार का अहम अजेंडा है | सरकारी संपत्ति की आड़ में मुसलमानों के साथ जनसंहार किया जा रहा है इनमें से कई बेक़सूर लोगों को संपत्ति के नुकसान की वसूली का नोटिस भी दिया जा चुका है. लखनऊ के हजरतगंज चौराहे के अलावा इस तरह के कई पोस्टर शहर के अन्‍य इलाकों में लगाए गए हैं | .

इसी दौरान योगी मंत्रिमंडल के एक राज्य मंत्री मोहसिन रज़ा ने उन होरडिंगस के सामने खड़े होकर कुछ जज़्बाती संवाद भी बोल कर यह दर्शाने की कोशिश की है के तस्वीर वाले लोग देश के विरुद्ध हैं और अशांति फैलाने वाले हैं.
वक़्फ़ और अल्पसंख्यकों के राज्य मनंत्री नोहसीन रज़ा की इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है और उनके इस संवादों को अनावश्यक बताया है.

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में लखनऊ में 19 दिसम्बर को हिंसा की घटना हुई थी. वैसे ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ एडीएम सिटी पश्चिम की कोर्ट से वसूली का आदेश जारी हो चुका है. इस मामले में लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने बताया कि हिंसा फैलाने वाले सभी के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि इन आरोपियों की संपत्ति कुर्क की जाएगी. प्रशासन का उद्देश्य इनके चेहरे को बेनकाब करना है |

ये बात सत्य पर आधारित है लेकिन सरकार उपद्रवियों को पकड़ने में नाकाम हुवी सो अपने आप इन निर्दोष लोगों की होर्डिंग्स बना कर शहर में जगह -जगह लगाई गई है इससे मुजरिम आज़ाद और देश का आम नागरिक परेशान हो रहा है | ये घिनौनी साज़िश मुसलमानो का जनसंहार का वह प्लान है जिसके अनुसार ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वालों को इतना पड़ताड़ित करो कि वह विरोध प्रदर्शन करना भूल जाएं |

डीएम ने यह भी बताया था कि मजिस्ट्रेट की जांच में 57 लोग दोषी पाए गए. सभी दोषियों के खिलाफ संपत्ति कुर्क करने कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान एक करोड़ 55 लाख रुपए के नुकसान की वसूली होनी है. उन्होंने कहा सभी लोगों की पहचान कर ली गई है किसी को छोड़ा नहीं जाएगा. जानकारी के अनुसार ठाकुरगंज से 10 और कैसरबाग से 6 आरोपियों को दोषी मानते हुए कुल 69 लाख 48 हजार 900 रुपए हर्जाना तय किया गया है. इनमें शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अबास और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उपाध्यक्ष कल्बे सादिक के बेटे सिब्तैन नूरी का नाम भी शामिल है. सरकार की ये घिनौनी साज़िश है अत्याचार करके मुसलमानो पर नस्लीय हमला हैं समाज का हर वर्ग तानाशाही सरकार के इस कार्य की निंदा करता है |

16 लोगों से सरकारी और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की वसूली की जाएगी. आरोपियों को 30 दिन में यह धनराशि जमा करनी होगी. यह धनराशि इन सभी से या इनकी सम्पत्ति से संयुक्त रूप से वसूली जा सकती है. आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति पूरे अर्थदंड के लिए व्यक्तिगत रूप से व समस्त समूह सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं. मंगलवार को एडीएम सिटी पश्चिम और एडीएम टीजी विश्वभूषण मिश्रा की कोर्ट से यह निर्णय सुनाया गया है.

सरकारी अधिकारी ने किया नुकसान का आकलनएडीएम ने शुभम सिनेमा, कैसरबाग में हुए सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की सम्पत्तियों को हुई क्षति का कुल मूल्यांकन एक लाख 75 हजार रुपए किया है. इसी तरह सतखंडा, हुसैनाबाद में हुई सम्पत्तियों की क्षति का मूल्यांकन 67 लाख 73 हजार 900 रुपए किया गया है.

अगर आठ अप्रैल तक धनराशि जमा नहीं होती है तो आरोपियों की सम्पत्ति कुर्क कर के वसूली की जाएगी. आदेश के अनुसार ठाकुरगंज में 14 और कैसरबाग में 15 आरोपी बनाए गए थे. ठाकुरगंज में चार और कैसरबाग में 9 आरोपियों पर सुनवाई के दौरान दोष सिद्ध नहीं हुआ.

इसी दौरान योगी मंत्रिमंडल के एक राज्य मंत्री मोहसिन रज़ा ने उन होरडिंगस के सामने खड़े होकर कुछ जज़्बाती संवाद भी बोल कर यह दर्शाने की कोशिश की है के तस्वीर वाले लोग देश के विरुद्ध हैं और अशांति फैलाने वाले हैं.
वक़्फ़ और अल्पसंख्यकों के राज्य मनंत्री नोहसीन रज़ा की इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है और उनके इस संवादों को अनावश्यक बताया है.

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