अमेरिका से नौकरी छोड़कर कानपुर में शुरू किया मत्स्य पालन का कारोबार

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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार से 60 प्रतिशत अनुदान प्राप्त कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में पचास लाख की लागत से वृहद रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम की कानपुर के कल्याणपुर ब्लाक के सिंहपुर कठार पतरसा में शुरू किया। इसकी स्थापना के अभी महज एक वर्ष बीते हैं और बहुत अधिक लाभ तो नहीं हुआ लेकिन घाटा भी नहीं हुआ। यह जानकारी बुधवार को योजना की महिला लाभार्थी इन्द्रा के पति प्रोफेसर योगेश ने दी।

उन्होंने बताया कि लखनऊ में अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। वह मुम्बई स्थित डीम्ड विश्वविद्यालय सीआईएफ से मत्स्य पालन में पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद अमेरिका नौकरी करने चले गए। लेकिन देश में भाजपा की सरकार आने के बाद केन्द्र सरकार ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए। केन्द्र सरकार ने मत्स्य पालन के कारोबार से जुड़े मछुआरा समाज को मजबूती देने के लिए कई योजना शुरू की। उन्हीं योजनाएं में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन का कारोबार बढ़ाने के लिए अनुदान देना शुरू किया। महिला अभ्यर्थियों को सरकार इस योजना के तहत 60 प्रतिशत का अनुदान देना शुरू किया। यह जानकारी होने के बाद मैंने निर्णय लिया कि अमेरिका से नौकरी छोड़कर अपने देश में मछली कारोबार शुरू करूंगा।

उन्होंने बताया कि कानपुर में मेरी ससुराल होने की वजह से मैंने नौकरी के दौरान ही जमीन अपनी पत्नी के नाम ले लिया था। उसका लाभ कमाने के लिए मैंने कानपुर सहायक निदेशक मत्स्य एन.के.अग्रवाल से सम्पर्क किया तो उन्होंने योजना के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निजी भूमि पर वृहद रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) के लिए पचास लाख की लागत से मत्स्य पालन का कारोबार शुरू करने के लिए सरकार महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान दे रही है। मैंने अपनी पत्नी के नाम से आवेदन किया। अधिकारियों का पूरा सहयोग मिला और मैंने यह कारोबार शुरू कर दिया है। मुझे सरकार से अनुदान भी मिल गया है। इस कार्य को शुरू कराने में मत्स्य विकास अधिकारी निखिल और कुसुम का पूरा सहयोग मिला। अधिकारियों की गाइडलाइन से पूरा कार्य शुरू कर चुका हूं। हालांकि पहले वर्ष में बहुत अच्छा लाभ नहीं हुआ लेकिन आने वाले समय में मुझे इस कारोबार में अच्छा लाभ मिलेगा।

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