Monday, May 6, 2024
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बदइंतजामी के सबूत दिखा रही बाढ़ की स्थिति, दूसरे दिन भी बद से बदतर रहे हालात

अवधनामा संवाददाता

36 घण्टे बाद भी नही दूर हुआ अंधेरा, धड़ाम हुए सारे दावे
 पानी से घिरी आबादी भूख प्यास से बेहाल, कोई नही पुरसाहाल

बाराबंकी। आधे शहर की आबादी के हाल बद से बदतर बने हुए हैं। जमुरिया नाले के पानी से घिर आबादी दूसरे दिन भी घरों में कैद रही। भूख प्यास से कुलबुलाये लोगो के सामने मुसीबतों का ढेर है। प्रशासन अपनी कवायद में जुटा रहा इसके उलट खतरे में आये पुलों का संकट बरकरार है। उधर जलभराव से जूझते इलाकों के अलावा इससे मुक्त मोहल्ले में बाशिंदे 36 घण्टे से अधिक समय से बिजली पानी व रोजमर्रा की चीजों को तरसते रहे।
खैर हालात और बदतर हो चले हैं। पानी मे डूबी आधी आबादी को आज दूसरे दिन भी मुक्ति नही मिली। उनके घर के आधे हिस्से पानी से घिरे रहे वहीं गलियों मार्गो पर पानी भरा होने से चंद कदम चलना भी मुश्किल हो गया। संतोषी माता मंदिर से छाया, छाया से सिविल लाइन मार्ग, पुलिस लाइन के अलावा अभयनगर, दुर्गापुरी घोसियाना जैसे बड़े मोहल्ले पानी मे डूबे रहे। यहां रह रही आबादी के सामने भूख प्यास का गम्भीर संकट है। बिजली न होने से पीने के पानी को भी तरस गए लोग बस पानी घटने की दुआ कर रहे। पानी के शहर में घुसने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ वही स्कूल आज भी बंद रखे गए। हाइवे स्थित जमुरिया पुल के अलावा कमरियाबाग के निकट पुल पर आवागमन बन्द कर दिया गया। बाकी मार्गो पर पानी भरा होने से आधे शहर का सम्पर्क बाकी हिस्से से टूट गया। नारकीय जिंदगी जी रहे लोगों को दोबारा बारिश ने होने से राहत तो मिली पर 36 घण्टे बाद भी बिजली आपूर्ति चालू न होने से बड़ी आबादी पीने के पानी को ही नही रोजमर्रा की चीज़ों को तरस गई। इन्वर्टर फेल हो गए, मोबाइल की बैटरी समाप्त हो गई वहीं खाने पीने का संकट खड़ा हो गया।

हाल जानने नही पहुंचे माननीय, लुप्त हो गए समाजसेवी

पानी के कहर से जूझते शहरवासियों का हाल जानने माननीयों से लेकर समाजसेवी भी नही पहुंचे। आधे शहर में तबाही का नजारा देखने आधे शहर की आबादी जरूर पहुंचती रही।
शहर वासियों की इस कदर बेकद्री उपेक्षा और बदहाली इससे पहले भी देखी जा चुकी है। यह तय है कि जमुरिया नाला का पानी उतरते ही अफसर किनारा कस लेंगे और प्रभावित आबादी एक बार फिर भाग्य के सहारे हो जाएगी। यही हमेशा से होता आया है फिलहाल की अफसरों की दौड़भाग भी केवल शासन तक यह संदेश पहुंचाने के लिए है कि कोई शांत नही बैठा है।

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