Friday, May 3, 2024
spot_img
HomeEditorialकितना शरमिन्दा करायेंगें पूरी शिया क़ौम को,

कितना शरमिन्दा करायेंगें पूरी शिया क़ौम को,

कोरोना वायरस शिया जुमा मस्जिदों में छिपा ?

9415018288

कोरोना ने सबसे पहले शराबियों को ख़ुदा हाफ़िज़ कहा फिर बाज़ारों से रूख़सत हुआ, फिर शादीघरों से, फिर रेस्तरां से, फिर सैर सपाटा करने की उन सभी जगहों से जहां सरकार को रेवेन्यू आता है और फिर मंदिरों से, मस्जिदों से, यहां तक अहले सुन्नत की उन सभी जुमें की जमाअतों से भी जहां सैकड़ों की तादाद में नमाज़ी जमाअत से नमाज़ अदा कर रहे हैं यानि तक़रीबन सब जगहों से, सिवाये शिया जुमा मस्जिदों के। लगता है पूरे शहर का कोरोना छिपकर शियों की उन चार मस्जिदों में छिपकर बैठ गया है जहां जुमे की नमाज़ होती है कमाल तो यह है कि एच.ए.एल. की मस्जिद में शिया और सुन्नी दोनो की जुमें की नमाज़ एक के बाद एक होती है लेकिन इस मस्जिद में सुन्नी तो महीनों से जुमे की नमाज़ अपनी पूरी तादाद के साथ बजमाअत अदा कर रहे हैं लेकिन शिया कोरोना के डर से जुमे के दिन मस्जिद के क़रीब भी नहीं जा रहे हैं। जब इन चार जुमे की नमाज़ के ज़िम्मेदारों से पूछा गया कि आख़िर पूरे हिन्दुोस्तान की शिया मस्जिदों में जुमा हो रहा है और लखनऊ की भी सभी अहले सुन्नत की मस्जिद में जुमा हो रहा है और आपकी भी मस्जिद में अहले सुन्नत जुमें की नमाज़ अदा कर रहे हैं फिर आप क्यों नहीं ? तो सबका एक जवाब था कि जब तक आसिफ़ी मस्जिद में जुमा नहीं शुरू होता हम कैसे अपने यहां जुमा शुरू कर सकते हैं जबकि बक्शी तालाब में शहर के वाहिद हो रहे शिया जुमे के ज़िम्मेदारों से जब पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि हम सिस्तानी साहब की तक़लीद में हैं ना कि आसिफ़ी मस्जिद की।
आज सालों बाद मौलाना शाकिर साहब मरहूम की तहरीर का वह फ़िक़रा समझ में आया जो उन्होंने बरसों पहले लिखा था। मस्जिद नूर महल में जब जुमा शुरू होना था तो हमलोग जुमा शुरू करने के शरायत के सिलसिले में शाकिर साहब के हुज़ूर में हाज़िर हुये और उनसे जुमा शुरू करने की शरई इजाज़त चाही तो उन्होंने जो लिखकर दिया उसके जुमले कुछ इस तरह से थे कि नरही, मस्जिद नूर महल में जुमें की सभी शरायत पूरी होती है जिस वजह से यहां जुमा शरई तौर पर शुरू किया जा सकता है लेकिन अच्छा है कि शाही इमाम से भी इसकी इजाज़त ले ली जाये। यह जुमला उस वक़्त समझ में नहीं आया लेकिन जब आज इन चार मस्जिदों के ज़िम्मेदारों ने बेबसी से कहा कि जब तक आसिफ़ी मस्जिद में जुमा न शुरू हो हम कैसे अपने यहां जुमा शुरू कर सकते हैं इसमें से किसी नमालूम शख़्स ने तो यहां तक कहा कि हम पुलिस प्रशासन को तो समझा सकते हैं लेकिन जब अपनी क़ौम के लोग मुक़ालेफ़त और दलाली करने लगेगें तो हम उनसे कैसे लड़ेंगें ?
इसलिये या तो आसिफ़ी मस्जिद, नरही की नूर महल मस्जिद, अलीगंज और इंदिरानगर की एच.ए.एल. मस्जिद में सिर्फ़ शियों के लिये कोरोना वायरस क़स्द करके बैठा है कि यह जुमे की नमाज़ अदा करने आयें और हम इन्हें डसें या इन मस्जिदों के मुतंज़ीमों की नज़र में जुमे की कोई अहमियत नहीं या यह जिनकी तक़लीद में हैं उनकी मौजूदा सूरते हाल में जुमें की नमाज़ अदा करने की अभी इजाज़त नहीं।
लिल्लाह कितना शरमिन्दा करायेंगें पूरी शिया क़ौम को, ऐसे ही बोहतान है कि शिया नमाज़ नहीं पढ़ते अब अपनी बुज़दिली से क्या इसे साबित भी करेंगें कि शियों की नज़र में जुमे की नमाज़ की कोई अहमीयत नहीं ?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular