Friday, May 3, 2024
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होम क्रेडिट इंडिया की “दि इंडियन वालेट स्टडी आई सामने

 

होम क्रेडिट इंडिया की उपभोक्ताओं पर नयी स्टडी काम करने वाली आबादी में अल्प आय वर्ग के तीन चौथाई उपभोक्ताओं में आय में बढ़त (76%) और बचत (64%) के साथ आर्थिक विकास के प्रति उत्साह दर्शाती है।

टियर वन के शहरों जैसे हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद और बंगलौर ने मासिक आय के मामले में चार मेट्रो शहरों को पीछे छोड़ा

वे आफलाइन अनुभव के लिए खुदरा दुकानों में खरीद करते हैं। हालांकि जब बिलों का भुगतान या ऋण लेने की बारी आती हो तो वे डिजिटल भुगतान को लेकर सहज हैं।

अल्प आय वर्घ के उपभोक्ताओं की कुल मासिक आय का 70 फीसदी हिस्सा किराना, आवागमन व किराए में चला जाता है।

लखनऊ: होम क्रेडिट इंडिया (एचसीआईएन), अग्रणी वैश्विक कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता कंपनी की स्थानीय शाखा ने अपने दूसरे आंतरिक वार्षिक उपभोक्ता सर्वे का पहला संस्करण– दि इंडियन वालेट स्टडी 2023: उपभोक्ताओं के वित्तीय व्यवहार व उनके कल्याण के प्रति समझ को लेकर जारी किया है। इस अध्ययन का सार है कि शहरी व अर्ध शहरी अल्प आय वर्ग के उपभोक्ताओं में अर्थव्यवस्था को लेकर खासा उत्साह है। जैसा कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि हो रही है तो अल्प आय वर्ग के 52 फीसदी शहरी उपभोक्ताओं की आय का स्तर बढ़ा है और 76 फीसदी को उम्मीद है कि आने वाले वर्ष में उनकी आय बढ़ेगी जबकि 64 फीसदी बेहतर बचत की अपेक्षा कर रहे हैं। हालांकि आय में वृद्धि के बाद भी गैर जरुरी खर्चों को लेकर उपभोक्ता अधिक सजग हैं और 70 फीसदी का कहना है कि इस तरह के खर्च या तो परिवर्तित नहीं हुए हैं या बीते साल घट गए हैं।

इस अध्ययन का उद्देशय शहरी व अर्ध शहरी क्षेत्रों में अल्प आय वर्ग के उपभोक्ताओं की वित्तीय आदतों व भावनाओं को व्यापक रुप से समझना रहा है। दि इंडियन वालेट स्टडी दिल्ली एनसीआर, लखनऊ मुंबई, कोलकाता, बंगलौर, हैदराबाद, भोपाल, पटना, रांची, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, जयपुर, , लुधियाना, कोच्चि और पुणें सहित 17 शहरों में दो लाख रुपये पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले 18 से 55 साल के आयु वर्ग के ऋण लेने वाले लगभग 2200 लोगों के रैंडम सर्वे का नतीजा है।

लखनऊ (25,000 रुपये) के साथ ही लुधियाना (24,000 रुपये) और रांची (26,000 रुपये) में न्यूनतम व्यक्तिगत मासिक आय है। लखनऊ में, परिवार के मुख्य वेतनकर्ता, परिवार की 66% आवश्यक खर्चों का ध्यान रखता है। यह शहर मासिक बचत के मामले में भी सबसे कम है। अनुसंधान के अनुसार, लखनऊ अपने आवश्यक मासिक खर्चों का भुगतान करने के बाद 49% बचत करता है।

इस नए उपभोक्ता अध्ययन को जारी करते हुए, आशीष तिवारी मुख्य विपणन अधिकारी, होम क्रेडिट इंडिया ने कहा, “हम उपभोक्ताओं की नब्ज पर उंगली रख रहे हैं और लोगों के ऋण लेने के व्यवहार पर केंद्रित बहुत सफल व भारी मांग वाले सालाना अध्ययन हाउ इंडिया बारोज का प्रकाशन करते रहे हैं। हालांकि हमने यह महसूस किया कि हमें उपभोक्ताओं व पैसों के बीच के संबंध की बेहतर समझ के लिए अतिरिक्त यत्न करने होंगे।. दि इंडियन वालेट स्टडी इस विचार से उपजा हुआ उत्पाद है कि कोविड के उपरांत वित्तीय परिदृश्य व उपभोक्ताओं का व्यवहार परिवर्तित हुआ है और शहरी निम्न मध्यवर्ग के करोड़ों आने वाले उपभोक्ताओं के बारे में समझ विकसित करनी होगी। स्टडी के पहले संस्करण के प्रमुख बिंदुओं में उपभोक्ताओं की सकारात्मक भावनाएं, खर्च व बचत का व्यवहार शामिल है। अल्प आय वर्ग के लिए टियर वन के शहर आय का प्रमुख केंद्र बन रहे हैं और इस तरह के उपभोक्ता कुशलता से डिजिटल भुगतान को अपना रहे हैं।”

अध्ययन के मुताबिक अल्प आय वाली कामगार आबादी का राष्ट्रीय औसत 30000 रुपये प्रति माह मेट्रो शहरों में है। रोचक यह है कि टियर वन के शहरों ने मेट्रोज को पीछे छोड़ दिया है जिनमें हैदराबाद अल्प आय वर्ग के लिए सबसे पसंदीदा शहर बनकर उभरा है जहां औसत मासिक आय 42000 रुपये (राष्ट्रीय औसत से 12000 रुपये अधिक) जोकि दिल्ली (30000 रुपये) और मुंबई (32000 रुपये) से आगे है। टियर वन के शहरों में दक्षिण में बंगलौर व पश्चिम क्षेत्र में पुणे ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इन इलाकों के मेट्रो चेन्नई व वित्तीय राजधानी मुंबई के बराबर की आय उपलब्ध कराई है।

बचत के मोर्चे पर स्टडी में सामने आया है कि अल्प आय वर्ग का करीब 60 फीसदी (सबसे आगे कोलकाता में 75 फीसदी, जयपुर 71 फीसदी और बंगलौर 68 फीसदी) अपने प्रमुख मासिक खर्चों को पूरा करते हुए पैसा बचाने का प्रबंध करते हुए विवेकपूर्ण वित्तीय व्यवहार का प्रदर्शन कर रहा है। इस तरह इस अल्प आय वर्ग में भी तैयार नकदी की व्यवस्था दिख रही है। लैंगिक आधार पर बचत के मामले में 52 फीसदी महिलाओं के मुकाबले 60 फीसदी पुरुष बचत कर रहे हैं और इनमें अधिक जेन जेड के 62 फीसदी पुरुष व 53 फीसदी महिलाएं हैं।

अध्ययन में प्रमुखता से दर्शाया गया एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू अल्प आय वर्ग के उपभोक्ताओं में आपातकालीन व जरुरी खर्चों (चिकित्सा खर्च, बच्चों की आपातकालिक जरुरतें, घरेलू खर्च आदि) का मुकाबला करने के तंत्र का विकास है। इनमें से 70 फीसदी लोग इन खर्चों को अपनी बचत से पूरा करते हैं। ध्यान देने योग्य है कि करीब 20 फीसदी लोग वित्तीय संस्थाओं जैसे जैसे एनबीएफसी आदि का चयन करते हैं और अक्सर इसका प्रयोग नए कन्ज्यूमर ड्यूरेबुल या होम अप्लाएंसेज (31 फीसदी) लेने के लिए करते हैं। इसके उलट वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय साहूकारों पर निर्भरता न्यूनतम, चार फीसदी से भी कम, देखी गयी है।

वालेट शेयर के मामले में, अध्ययन में सामने आया है कि किराना ( 41 फीसदी), आवागमन (17 फीसदी) और किराया (11 फीसदी) की पूरे वालेट में एक बड़ी व करीब 70 फीसदी की हिस्सेदारी है जिसके बाद बिजली के बिल व रसोई गैस का स्थान है।

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