जिला अस्पताल में मनमाफिक रकम न मिलने पर मरीज को बिना इलाज लौटाया
महोबा। सरकार जहां एक तरफ गरीबों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार दिए जाने का फरमान जारी किए हुआ है साथ ही अस्पतालों का समय समय पर अधिकारियों, मंत्रियों के औचक निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया जा रहा है। निरीक्षण दौरान डाक्टरों के साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों को बाहर की दवाएं लिखने और फ्री इलाज के निर्देश दिए जाते हैं, बावजूद इसके कुछ स्वास्थ्य कर्मी बिना सुविधा शुल्क के गरीबों को इलाज करने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक मामला जिला अस्पताल में आया, जहां पर सालट गांव की किशोरी का पैर फ्रैक्चर होने पर इमरजेंसी वार्ड में तैनात स्वास्थ्य कर्मी ने प्लास्टर के बदले पैसों की मांग की गई और पैसा न दिए जाने पर बिना इलाज के मरीज को लौटा दिया गया।
सालट गांव निवासी हलकुट्टा अहिरवार ने बताया कि उसकी 19 वर्षीय बेटी उमेश कुमारी का पैर फिसल जाने से उसके पैर में फ्रैक्चर आ गया, जिस पर वह आनन फानन में 120 रुपये किराया खर्च कर सोमवार को जिला अस्पताल तक पहुंचा, जहां पर बेटी का इलाज करने के लिए जानकारी कर इमरजेंसी वार्ड में तैनात एक स्वास्थ्यकर्मी के पास पहुंचा, जहां पर उसने प्लास्टर के लिए उनसे 470 रुपये की मांग करने लगा। ग्रामीण ने बताया कि वह मजदूरी करके परिवार चलाता है और उसके पास इतने पैसे भी नहीं है, जिसे देकर वह बेटी का उपचार करा से। काफी मिन्नतों के बाद स्वास्थ्यकर्मी 300 रुपये में तैयार हुआ।
बेटी की तकलीफ देखते हुए लाचार पिता ने जैसे तैसे पैसे जुटाकर दिए, लेकिन आधे घंटे बाद उसी कर्मचारी ने मनमाफिक रकम न मिलने का हवाला देकर इलाज करने से इनकार कर दिया। पीड़ित हलकुट्टा का कहना है कि उनकी बेटी को इंजेक्शन लगाया गया, लेकिन इलाज को ीच में ही रोक दिया गया। उसने बताया कि हम गरीब लोग जिला अस्पताल इसलिए आते हैं कि सरकार ने मुफ्त इलाज की व्यवस्था की है, लेकिन यहां पैसे के बिना सुनवाई नहीं होती। इस पूरे मामले की शिकायत अस्पताल के सीएमएस से की गई है, जिन्होंने जांच का आश्वासन दिया है। यह घटना एक बार फिर जिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं और कर्मचारियों की मनमानी को उजागर करती है।





