Friday, May 3, 2024
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अध्यात्म और वीरता के अद्भुत संगम थे गुरु गोविंद सिंह : गौरव

अवधनामा संवाददाता

बुद्ध पीजी कालेज में गुरु गोविंद सिंह के जयंती पर आयोजित था संगोष्ठी

कुशीनगर। गुरु गोविंद सिंह अध्यात्म और वीरता के अद्भुत संगम थे। कवि होने के साथ साथ आध्यात्मिक गुरु होना और उस पर भी ऐसा योद्धा जो सवा लाख से एक लड़ाने का दम भरता हो, अद्भुत है।

उक्त बातें डॉक्टर गौरव तिवारी ने बुधवार को बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भंते सभागार में गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर ‘भारतीय संस्कृति और गुरु गोविंद सिंह’ विषयक संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में धर्म की हानि होने पर उसका उद्धारक आने की बात कही गई है। गोविंद सिंह अपने समय के धर्म उद्धारक ही थे। डॉ तिवारी ने गुरु गोविंद सिंह के ग्रन्थों से उद्धरण देते हुए कहा कि एक योद्धा होने के बावजूद उन्होंने ईश्वर-प्राप्ति के लिए ‘प्रेम’ को ही सबसे महत्त्वपूर्ण माना। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने ग्रन्थ ‘सिख गुरुओं का पुण्य स्मरण’ में लिखा है कि गुरु गोविंद सिंह ने अनुदित एवं विभिन्न सन्तों द्वारा लिखित ग्रंथ का सम्पादन कराया जिसका वजन उस समय ‘नौ मन’ था। उन्होंने भारतीय संस्कृति और गुरु गोविंद सिंह के जीवन दर्शन के परस्पर सम्बन्धों को व्याख्यायित करते हुए गुरु गोविंद सिंह के आध्यात्मिक एवं दार्शनिक चिन्तन के महत्त्व पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर ब्रजेश कुमार सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के आदर्शों पर चलने हेतु छात्र छात्राओं को प्रेरित किया। सारस्वत वक्ता प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर वीरेन्द्र कुमार ने गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में लड़े गए प्रमुख युद्धों के कारणों एवं परिणामों पर विस्तृत विमर्श प्रस्तुत किया। ऐतिहासिक क्रम में घटनाओं का विवरण देते हुए उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के पराक्रम और करुणा के अद्भुत सामंजस्य की सोदाहरण चर्चा की। खालसा पन्थ की स्थापना के घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व क्षमता एवं उनके पराक्रम का अत्यन्त रोचक वर्णन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती प्रतिमा के पुष्पार्चन से हुआ। महाविद्यालय के तृतीय वर्ष की छात्रा शाम्भवी मिश्रा एवं ममता गुप्ता ने स्वागत-गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ सौरभ द्विवेदी ने किया।

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