Sunday, May 5, 2024
spot_img
HomeUttar PradeshHamirpurराजकीय महाविद्यालय के छात्रों ने ग्रामीणों को बताया मतदान (वोट)का महत्व

राजकीय महाविद्यालय के छात्रों ने ग्रामीणों को बताया मतदान (वोट)का महत्व

अवधानामा संवाददाता

हमीरपुर -स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुछेछा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई 2 के द्वारा प्राचार्य प्रोफेसर शीराज खान के दिशा निर्देशों के अनुरूप आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाता जागरूकता अभियान चलाया गया। इकाई 2 के चौथे एक दिवसीय शिविर में ग्राम सभा सूरजपुर के ग्राम वासियों को घर घर जाकर स्वयंसेवकों और सेविकाओं ने मतदान हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ शिल्पी राय के नेतृत्व में स्वयसेवको एवं सेविकाओं ने सड़क पर रैली निकालकर लोगों को जागरूक किया। स्वयंसेवकों ने ग्रामवासियों को बताया कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए ग्रामवासियों को बढचढकर मतदान में भाग लेना चाहिए। इस जागरूकता कार्यक्रम में रूबी, ईशा, आयशा ,लक्ष्मी, किरण, सृष्टि ,रचना आदि स्वयंसेवकों ने सक्रिय प्रतिभाग किया।
वही राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुछेछा में संचालित एनएसएस की इकाई प्रथम का सामान्य शिविर का तीसरा दिन रहा जिसमें युवा एवं खेलमंत्रालय,भारत सरकार के तहत कार्यक्रम “पर्यावरण एवं जल संरक्षण” पर जागुरूकता अभियान चला जिसमें एनएसएस के स्वयं सेवक एवं सेविकाओं ने एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर संजय कुमार के निर्देशन में पर्यावरण एवं वन विभाग हमीरपुर में कैंप लगाया, वन बीट अधिकारी मनोज कुमार यादव जी ने बच्चों को पर्यावरण एवं जल संरक्षण के बारे में बताया कि वृक्षों की प्रजाति कितनी होती हैं ।
पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर चर्चा करते हुए डॉक्टर सुजीत कुमार सिंह और डॉक्टर घनश्याम दास जी ने बच्चों को पर्यावरण के बारे में रोचक जानकारी प्रदान की । हिंदी साहित्य के विद्वान डॉक्टर सुजीत कुमार सिंह ने पर्यावरण पर आदिवासी कवयित्री की कविता के माध्यम से अपनी बार रखते हुए कविता पढ़ी,
” ऑक्सीजन की कमी से बहुत सी नदिया मर गईं, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया कि उनकी लाशें तैर रही हैं मरे हुए पानी में अब भी,
नदी की लाश के ऊपर आदमी की लाश डाल देने से किसी के अपराध पानी में घुल नहीं जाते
वे सब पानी में तैरते रहते हैं,
जैसे नदी के साथ
आदमी की लाशें तैर रही हैं,
मरे हुए पानी में अब भी,
एक दिन जब सारी नदियां मर जायेंगी ऑक्सीजन की कमी से,
तब मरी हुई नदियों में तैरती मिलेंगी सभ्यताओं की लाशें भी,
नदियां ही जानती हैं उनके मरने के बाद आती है सभ्यताओं के मरने की बारी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular