Monday, May 6, 2024
spot_img
HomeMarqueeDelhi | 1997 से अब तक यानि 22 साल में आग लगने...

Delhi | 1997 से अब तक यानि 22 साल में आग लगने की पांच बड़ी घटनाओं ने 150 लोगों को दी दर्दनाक मौत

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीचों बीच स्थित रानी झांसी रोड पर एक चार मंजिला फैक्ट्री में रविवार की सुबह भीषण आग लगने से 43 श्रमिकों की मौत हो गई. दिल्ली में इस तरह का भीषण अग्निकांड पहली बार नहीं हुआ. पिछले 22 वर्षों में वैसे तो आग लगने की कई घटनाएं हुईं पर चार हादसे ऐसे हुए जिन्होंने दिल्ली एनसीआर ही नहीं पूरे देश को दहला दिया.

 इनमें से दो दुर्घटनाएं तो बीते दो सालों में ही हुई हैं. जब-जब दिल्ली में आग ने तांडव मचाया राजधानी वासियों को उपहार सिनेमा अग्निकांड याद आया. आग से बड़ी संख्या में मौतों के बावजूद दिल्ली में इन घटनाओं से बचने के लिए अपेक्षित सख्ती नहीं बरती गई. लापरवाही जारी है और आग से जान माल की हानि का सिलसिला भी जारी है.

दिल्ली में आग लगने के बड़े हादसों में सबसे ऊपर उपहार सिनेमा अग्निकांड का नाम आता है. दिल्ली के उपहार सिनेमा में 13 जून 1997 को भीषण आग लगी थी.

यह आग तब लग थी जब सिनेमाघर में फिल्म प्रदर्शन चल रहा था और सिनेमा हाल भरा हुआ था. इस हादसे में 59 लोगों की जान चली गई थी.

शहर के नंदनगरी इलाके में 20 नवंबर 2011 को एक कार्यक्रम के दौरान आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई थी और 30 लोग घायल हो गए थे. जनवरी 2018 में बवाना की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लग गई. इससे 17 लोगों की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए थे.

 

जारी वर्ष में ही 11-12 फरवरी की रात में करोलबाग के होटल अर्पित में आग लग गई जिससे 17 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. आज हुए हादसे में मृत लोगों की संख्या जोड़ी जाए तो 1997 से अब तक हुईं आग लगने की कुल पांच बड़ी घटनाओं में 150 लोगों की मौत हुई.

शहर के रानी झांसी रोड पर एक चार मंजिला फैक्ट्री में रविवार की सुबह भीषण आग लगी. अग्निशमन सेवा के अधिकारियों को आग लगने की जानकारी सुबह पांच बजकर 22 मिनट पर दी गई. इसके बाद दमकल की 30 गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया. करीब डेढ़ सौ दमकल कर्मियों ने बचाव अभियान चलाया और 63 लोगों को आग से घिरे भवन से बाहर निकाला. शुरुआती जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. इस भीषण हादसे में 43 श्रमिकों की मौत हो गई. दो दमकल कर्मी भी बचाव कार्य के दौरान घायल हो गए हैं.

इस अग्निकांड के पीछे एक बार फिर लापरवाही उजागर हुई. बताया जाता है कि इन निर्माण इकाइयों के पास दमकल विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं था. आसपास दमकल के वाहनों के आवागमन के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी जिससे बचाव अभियान में दिक्कत हुई. दमकल कर्मी खिड़कियां काटकर भवन में दाखिल हुए.

बिजली वितरण कंपनी बीवाईपीएल का दावा है कि इमारत के भूतल पर लगे मीटर सुरक्षित हैं. इस दावे से आग किसी अन्य कारण से लगने की संभावना भी जताई जा रही है. पुलिस ने फैक्ट्री के मालिक रेहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैरइरादन हत्या) का मामला दर्ज कर लिया गया है. दिल्ली सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है.

रानी झांसी रोड पर हुए इस भीषण अग्निकांड के बाद घटनास्थल पर हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला. फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूरों के परिजन और स्थानीय लोग घटनास्थल की ओर भाग रहे थे. पीड़ितों के परिजन अस्पतालों में अपने संबंधियों को खोज रहे थे. जब आग लगी तब कई मजदूर गहरी नींद में थे. भवन में हवा के आने-जाने की भी समुचित व्यवस्था नहीं थी. इसके परिणाम स्वरूप कई लोगों की दम घुटने से मौत हो गई.

हादसे में झुलसकर घायल हुए लोगों को मृतकों के शवों को आरएमएल अस्पताल, एलएनजेपी और हिंदू राव अस्पताल ले जाया गया. इन अस्पतालों में लोग अपने रिश्तेदारों को ढूंढने में जुटे हैं.

बताया जाता है कि एलएनजेपी अस्पताल में 34 लोगों को मृत अवस्था में लाया गया था. इन लोगों के मरने की मुख्य वजह धुएं की चपेट में आकर दम घुटना है. कुछ शव जले हुए थे. इस अस्पताल में भर्ती किए गए 15 झुलसे हुए लोगों में से नौ को निगरानी में रखा गया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजन को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटनास्थल का दौरा किया और मृतकों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये तथा झुलसे लोगों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा राशि देने की घोषणा की है. उत्तर दिल्ली के मेयर अवतार सिंह के मुताबिक उन्होंने नगर निगम आयुक्त से एक टीम का गठन करने, घटनास्थल का दौरा करने और आग लगने के कारणों का पता लगाने के निर्देश दिए हैं.

दिल्ली में वर्ष 2019 की शुरुआत में फरवरी में हुए अग्निकांड से जहां 17 लोगों की मौत हुई थी वहीं साल के अंत में हुए इस भीषण हादसे ने 43 लोगों की जान ले ली. प्रशासन की लापरवाही एक बार फिर सामने आई.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular