Monday, September 22, 2025
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रोजगार सृजन से अमेठी में तेजी से बदल रही महिला सशक्तिकरण की तस्वीर

ग्रामीण अंचल की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण अंचल की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। समूह बनाकर छोटी छोटी बचत करने वाली तमाम महिलाएं रोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। विकास भवन के अधिकारी अब इन महिलाओं की कहानी प्रेस के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। जिला प्रशासन का लगातार प्रयास है कि अधिक से अधिक पात्र लाभार्थियों को योजना से जोड़कर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।

जनपद के विभिन्न गाँवों से सामने आईं महिलाओं की कहानियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी सफलता की गाथा लिख सकती हैं।

विकासखंड मुसाफिरखाना के ग्राम पंचायत पिण्डारा करनाई की रहने वाली रेहाना कौसर का जीवन कभी आर्थिक तंगी और सामाजिक बंधनों से घिरा हुआ था। पति के बेरोजगार होने और परिवार में उपेक्षित रहने के कारण उन्होंने हमेशा अपने और बच्चों के भविष्य की चिंता की। लेकिन फरवरी 2021 में उन्होंने साहस दिखाते हुए “गंगा महिला आजीविका स्वयं सहायता समूह” का गठन किया और इसकी अध्यक्ष बनीं।

समूह से ऋण प्राप्त कर रेहाना ने सिलाई मशीन खरीदी और घर पर ही सिलाई का कार्य शुरू किया। इसके बाद उन्होंने बैंक सखी बनने के लिए आवेदन किया और जुलाई 2022 में परीक्षा पास कर बड़ौदा यूपी बैंक, मुसाफिरखाना में बैंक सखी के रूप में नियुक्त हुईं। आज वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार चुकी हैं और पूरे गाँव में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।

विकासखंड शाहगढ़ के ग्राम पंचायत दुलापुर कला की निवासी रीना “जानवी स्वयं सहायता समूह” की अध्यक्ष हैं। पहले उनका परिवार केवल सीमित खेती पर निर्भर था और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करता था। बच्चों की शिक्षा व परिवार के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता था।

कोरोना काल में रीना ने अन्य महिलाओं से प्रेरणा लेकर समूह का गठन किया और इसे उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा। धीरे-धीरे समूह ने बचत, ऋण लेन-देन और योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी। बाद में समूह ने धूपबत्ती निर्माण का कार्य शुरू किया। मशीनरी और प्रशिक्षण प्राप्त कर जब उत्पादन प्रारंभ हुआ तो शुरुआत में विपणन में कठिनाई आई, लेकिन मेहनत और लगन से समूह द्वारा निर्मित सुगंधित धूपबत्ती की माँग स्थानीय बाज़ारों में बढ़ने लगी।

आज समूह की मासिक बिक्री ₹60,000 से ₹70,000 तक पहुँच चुकी है और रीना का परिवार न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुआ है बल्कि उनके गाँव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार अपनाने की प्रेरणा मिल रही है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत जिले में सैकड़ों महिलाएं अपने समूह के माध्यम से रोजगार स्थापित कर चुकी हैं। महिलाओं को रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन और समय पर बैंकों से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।कई विकास खंडों में समूह की महिलाएं प्रेरणा कैंटीन भी चला रही हैं।

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