अब तक यही माना जाता था कि उम्र धीरे-धीरे बढ़ती है लेकिन ताजा स्टडी में खुलासा हुआ है कि 50 साल की उम्र एक ‘टर्निंग पॉइंट’ हो सकती है जब शरीर में कई अहम बदलाव तेजी से होने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम सतर्क हो जाएं और अपने शरीर की अंदरूनी जरूरतों को समझकर उसकी बेहतर देखभाल करें। आइए विस्तार से जानें इस शोध से जुड़ी जरूरी बातें।
हम सभी जानते हैं कि उम्र बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शरीर में यह बदलाव कब सबसे तेज होते हैं? एक हालिया वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, 50 वर्ष की आयु के बाद हमारे शरीर में उम्र बढ़ने की रफ्तार अचानक तेज हो जाती है। यह न सिर्फ त्वचा या बालों पर असर डालती है, बल्कि अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली भी बदलने लगती है।
क्या कहती है रिसर्च?
चीन के प्रतिष्ठित शोध संस्थान ‘चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज’ के वैज्ञानिकों ने मानव शरीर के 13 अंगों से लिए गए सैकड़ों ऊतक (टिश्यू) नमूनों का गहराई से विश्लेषण किया। इस शोध में 500 से अधिक ऐसे नमूनों को देखा गया जो 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के लोगों से लिए गए थे। शोध का मुख्य फोकस था शरीर में मौजूद प्रोटीन- जो हमारे अंगों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 50 वर्ष की उम्र के आस-पास शरीर में मौजूद ब्लड वेसल्स तेजी से बूढ़ी होने लगती हैं। खासकर महाधमनी (Aorta), जो हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पहुंचाने का काम करती है, उसमें उम्र बढ़ने के शुरुआती और स्पष्ट संकेत देखने को मिले।
शरीर के भीतर क्या होता है बदलाव?
यह रिसर्च केवल ऊपरी सतह तक सीमित नहीं रही। वैज्ञानिकों ने प्रोटिओमिक्स नामक तकनीक का इस्तेमाल कर गहराई से यह समझने की कोशिश की कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अलग-अलग अंगों में प्रोटीन कैसे बदलते हैं। प्रोटीनों के इस बदलाव का सीधा असर हृदय, पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। यही वजह है कि 50 की उम्र पार करने के बाद कई लोग थकान, पाचन संबंधी परेशानियों और हृदय से जुड़ी समस्याओं का अनुभव करने लगते हैं।
क्या है ‘प्रोटीन-आधारित उम्र घड़ी’?
शोधकर्ताओं ने प्रोटीन के इन परिवर्तनों के आधार पर एक तरह की ‘उम्र घड़ी’ (age clock) तैयार की है। यह तकनीक अलग-अलग अंगों की उम्र को अनुमानित करने में मदद कर सकती है। इससे यह भी समझा जा सकता है कि कौन सा अंग कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है और किस उम्र में कौन सा अंग ज्यादा संवेदनशील होता है।
44 से 60 की उम्र क्यों है अहम?
इससे पहले भी प्रकाशित एक अन्य अध्ययन, जो नेचर एजिंग जर्नल में सामने आया था- में बताया गया था कि 44 से 60 वर्ष की उम्र के बीच शरीर में अणुओं और रोग प्रतिरोधक प्रणाली में ऐसे परिवर्तन होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यह वो उम्र होती है जब हम अंदर से धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगते हैं, भले ही ऊपर से हम सामान्य दिखें।
हमारे लिए क्या है इसका मतलब?
इस रिसर्च से एक महत्वपूर्ण संदेश यह निकलता है कि उम्र बढ़ना केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करने वाली जटिल प्रक्रिया है। खासतौर पर 50 की उम्र एक ऐसा मोड़ है जब हमें अपने स्वास्थ्य पर और अधिक ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए।
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं
- हृदय और रक्तचाप की निगरानी रखें
- संतुलित आहार और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें
- तनाव से बचें और अच्छी नींद लें