भारतीय शहरों के रेड-लाइट एरिया में 400,000 से अधिक लोगों के कोविड-19 से संक्रमित

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भारतीय शहरों के रेड-लाइट एरिया में 400,000 से अधिक लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने का अनुमान येल स्कूल ऑफ़ मेडिसिन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शिक्षाविदों के अध्ययन से हुआ खुलासा

Ø रेड-लाइट एरिया को बंद करके, उत्तर प्रदेश में हज़ारों सेक्स-वर्कर्स की जान बचाई जा सकती है

विशेषज्ञों के एक समूह के अनुसार, भारत में रेड-लाइट एरिया को खोले जाने पर यहां कोविड-19 के मामले, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या, और मौत के आंकड़ों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, रेड-लाइट एरिया को लंबी अवधि तक बंद रखने से, इस महामारी की चरम स्थिति में देश में कोविड-19 के मामलों में कुल मिलाकर 60% से ज्यादा की कमी हो सकती है, साथ ही मरने वाले लोगों की संख्या को भी कम किया जा सकता है। इस मॉडल को हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और येल स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में विकसित किया गया है।

लखनऊ की बात की जाए, तो इस महामारी की चरम स्थिति में यहां के कबाड़ी बाजार रेड-लाइट एरिया को बंद करके कोविड-19 के मरीजों तथा मरने वाले लोगों की संख्या में कुल मिलाकर 90% से अधिक की कमी लाई जा सकती है। अगर कबाड़ी बाजार रेड-लाइट एरिया को फिर से खोल दिया जाए, तो लॉकडाउन के बाद पहले 100 दिनों की अवधि में लखनऊ में इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या 35 गुना अधिक हो सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए कृपया www.CodeRedCOVID.org पर जाएँ।

यह मॉडल दर्शाता है कि, रेड-लाइट एरिया को पहले की तरह खोल दिए जाने पर उस क्षेत्र में यह बीमारी बड़ी तेजी से फैल जाएगी, तथा इससे सेक्स-वर्कर्स के साथ-साथ उनके ग्राहक भी बड़े पैमाने पर संक्रमित हो जाएंगे। यहां संक्रमण की दर अत्यधिक इसलिए है क्योंकि सेक्स के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव नहीं है। फिर संक्रमित ग्राहक इस बीमारी को पूरे शहर में फैला देंगे, जिससे मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि होगी। इससे बेहद कम समय में लखनऊ की स्वास्थ्य सेवाओं पर जरूरत से ज्यादा दबाव बढ़ जाएगा। इसके परिणामस्वरूप बेहद कम संख्या में मरीजों को इलाज प्राप्त हो सकेगा तथा मरने वालों की संख्या बढ़ जाएगी, जिसे अभी रोका जा सकता है। रेड-लाइट एरिया में कई ऐसे कारक शामिल हैं, जिनकी वजह से यह इलाका उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े हॉटस्पॉट में से एक बन सकता है।

निष्कर्षों के बारे में बताते हुए इस अध्ययन के सह-लेखक, डॉ. अभिषेक पांडे, येल यूनिवर्सिटी, ने कहा, “सेक्स के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव है। सेक्स वर्कर्स, उनके दलालों और वेश्यालय के प्रबंधकों के साथ-साथ रेड-लाइट एरिया के निवासियों को संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है। इस बीमारी की रोकथाम के प्रभावी उपायों को अमल में लाने तक रेड-लाइट एरिया को बंद रखा जाना चाहिए, और ऐसा करके रेड-लाइट एरिया के निवासियों की हजारों की संख्या में संभावित मौतों को रोका जा सकता है।”

मॉडल के अनुमानों के अनुसार, अगर भारतीय शहरों के रेड-लाइट एरिया को फिर से खोल दिया जाए तो अगले एक साल के दौरान भारत में रेड-लाइट एरिया में काम करने वाले और इन इलाकों में रहने वाले 400,000 से अधिक लोग संक्रमित हो सकते हैं तथा 12,000 से अधिक लोगों की मौत हो सकती है।

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