भाजपा ने मनाया कार्यालय पर स्थापना दिवस

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अवधनामा संवाददाता
कार्यकर्ताओं ने सुना प्रधानमंत्री का उदबोधन

ललितपुर। भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री ने समस्त देश में बर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया। इस अवसर प्रधानमंत्री ने पार्टी के स्थापना से लेकर आज तक का भावभीना वर्णन किया। भाजपा के शिखर तक पहुंचने की गाथा सुनाकर कार्यकर्ताओं को देशभक्ति और राष्ट्र वाद की प्रेरणा दी। इस अवसर पर ललितपुर जिला कार्यालय में भी एक कार्यक्रम के माध्यम से कार्यकर्ताओं ने इसे सुना। अध्यक्षता जिलाध्यक्ष राजकुमार जैन ने व संचालन महामंत्री बब्बूराजा बुन्देला ने किया। सदर विधायक रामरतन कुशवाहा एड ने बताया कि हमारा सफर जनसंघ से शुरू हुआ था। लेकिन सन 1977 के वे दिन बड़े ऊहापोह भरे थे, जब अटलजी को उस जनसंघ का अस्तित्व खत्म करना था। जिसे संघ और आनुसांगिक संगठनों ने अपने खून से सींचा था और जो आज वृक्ष वन गया था। अटलजी बताते थे कि इस निर्णय के पक्ष में नानाजी सरीखे कई बरिष्ठ और मातृ संगठन के भी बहुत से वौद्धिकों की राय थी और जयप्रकाश नारायण के संरक्षक जैसे आश्वासन के बाद अन्तत: जनसंघ का अस्तित्व खत्म होकर नयी जनता पार्टी सामने आई, जिसमें जनसंघ का प्रतिनिधित्व इकतीस प्रतिशत लगभग था। यह एक अनुचित प्रयोग था। रोज संघ और जनता पार्टी की दो सदस्यताओं को लेकर अनावश्यक विवाद हुआ और ऐसे माहौल में अस्सी में चुनाव हुआ और जनता पार्टी हार गयी। अन्तत: फिर हमें भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से अपना नया रास्ता चुनना पड़ा। जिला प्रभारी अनिल यादव ने कहा कि जनसंघ के अपने पुराने साथियों और सिकन्दर बख्त सरीखे कुछ नये जुडऩे बाले साथियों के साथ एक अधिवेशन बुलाया गया, जिसमें पैंतीस सौ के करीब प्रमुख कार्यकर्ता थे और बाकी सामान्य कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में नयी पार्टी वनाने की योजना बनी। काफी लोगों ने नयी पार्टी का नाम फिर से जनसंघ रखने की राय रखी, लेकिन अटलजी की राय, नवीन राह के लिए नया नाम रखने की थी। अन्तत: सब को अटल जी की राय माननी पड़ी और समय के कपालों पर भारतीय जनता पार्टी नाम का नया राष्ट्रवादी दल उभर के आया। ध्वज के लिए जनता पार्टी के ध्वज को ही बदलाव कर आड़े की जगह खड़ा हरा लाल रखा गया। अब चिह्न की बात आई तो सर्व सम्मति से कमल ठीक लगा क्योंकि भारतीय परम्परा में कमल का महत्व था और चुनाव आयोग में कमल चिन्ह का आवेदन का निर्णय किया गया और छै जनवरी उन्नीस सौ अस्सी को भारतीय जनता पार्टी के रुप में नये दल की घोषणा कर दी गयी। जिसमें अटलजी अध्यक्ष वने तो दलित सूरजभान और मुस्लिम सिकंदर बख्त को आडवाणी जी के साथ महासचिव वना कर सबका साथ सबका विकास सब के विश्वास का संदेश दिया गया। अब इसे व्यवस्थित करने का निश्चय किया गया। जिसे दिसम्बर उन्नीस सौ अस्सी को मुम्बई में अधिवेशन के माध्यम से मूर्त रुप दिया गया। जिलाध्यक्ष राजकुमार जैन ने कहा कि नयी पार्टी वन गयी तो अब इसका चुनाव आयोग में नामांकन होना था लेकिन कई प्रान्तीय और उपचुनाव सर पर थे, चूंकि पार्टी ने अपना शुभ चिन्ह और झण्डे का चिन्ह भी कमल बनाया था जो सर्वमान्य था लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक इसे आबंटित नहीं किया था। इसलिए पार्टी के प्रत्याशियों से कहा गया कि वह सब कमल चुनाव चिन्ह ही मांगे। इस तरह उस साल हुए चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों ने कमल चुनाव चिन्ह मांगा और सभी उसी पर लड़े और बाद में चुनाव आयोग ने भी भारतीय जनता पार्टी को कमल चुनाव चिन्ह आबंटित कर दिया गया। सन उन्नीस सौ चौरासी में विधिवत चुनाव लड़े। इस चुनाव में भले ही हमें दो सीटें प्राप्त हुईं लेकिन हम सारे भारत में छै प्रतिशत मत पाकर मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभर कर आये। इस अवसर पर अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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