लखनऊ के केजीएमयू में डॉक्टरों ने एक जटिल सर्जरी कर ऑटो ड्राइवर की जान बचाई। सड़क हादसे में ड्राइवर की आंख में नकली शीशा घुसकर दिमाग तक पहुंच गया था। न्यूरो सर्जरी नेत्र रोग और एनेस्थीसिया विभागों के डॉक्टरों ने मिलकर इस मुश्किल सर्जरी को अंजाम दिया। डॉक्टरों ने न सिर्फ मरीज की आंख बचाई बल्कि उसे नया जीवन भी दिया।
लखनऊ। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सकों ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। न्यूरो सर्जरी, नेत्र रोग और एनेस्थीसियोलाजी के डाक्टरों ने बेहद मुश्किल सर्जरी को सफल बनाया है।
युवक की न सिर्फ आंख बचायी, बल्कि उसका पुनर्जन्म भी कराया है। सड़क हादसे में छह सेंटीमीटर लंबा टुकड़ा मरीज की आंख से होते हुए झिल्ली को पार कर दिमाग तक पहुंच गया था। ऐसी स्थिति में ब्रेन फ्लूइड का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें जान बचाना मुश्किल होता है। मैराथन सर्जरी में मरीज की की जान के साथ उसकी आंख की रोशनी भी बचाने में बड़ी कामयाबी मिली है।
केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि मरीज की स्वास्थ्य में तेज सुधार है। जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने सर्जरी करने वाली टीम को बधाई दी है।
न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीके ओझा ने बताया कि सिद्धार्थनगर निवासी रामू यादव आटो चलाते हैं। तीन अगस्त को सड़क दुर्घटना में ऑटो का सामने का शीशा टूट गया। दरअसल, यह नकली शीशा था। यदि असली होता तो सेफ्टी ग्लास की तरह कई छोटे टुकड़े में टूटता, लेकिन यह बड़े और नुकीले टुकड़े में बदल गया।
इनमें से एक छह सेंटीमीटर लंबा टुकड़ा ड्राइवर की दाहिनी आंख में धंस गया, जो झिल्ली को पार करते हुए दिमाग तक पहुंच गया। हादसे के दौरान आंख से काफी रक्त स्त्राव भी हुआ था। चोट का असर गले तक हुआ, जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
परिवारजन गंभीर स्थिति में रामू को लेकर सिद्धार्थनगर के एक अस्पताल में पहुंचे। डाक्टर ने मरीज को तत्काल बस्ती या गोरखपुर ले जाने की सलाह दी। गोरखपुर में पहुंचे तो डाक्टर ने मरीज को लखनऊ के एक कारपोरेट अस्पताल में भेज दिया।
डाक्टरों ने गले में ट्यूब डाल दी, जिससे मरीज को राहत तो मिली, लेकिन आंख व दिमाग में धंसे शीशे के टुकड़े का इलाज नहीं किया। ऐसे में उम्मीद छोड़ चुके परिवारजन मरीज को लेकर केजीएमयू के ट्रामा सेंटर पहुंचे। यहां न्यूरो सर्जरी विभाग के डा. अंकुर बजाज को दिखाया तो उन्होंने एक सीटी स्कैन कराया, जिसमें शीशे का टुकड़ा मरीज के दिमाग तक पहुंच गया था।
करीब साढ़े तीन घंटे तक चली मैराथन सर्जरी के बाद मरीज की आंख और जान बचाने में सफलता मिली। सर्जरी करने वाली टीम में प्रमुख रूप से न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर बजाज, डा. मित्रजीत, डा. साहिल, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. बृजेश प्रताप सिंह, नेत्र रोग विभाग के डा. गौतम व डा. प्रियंका शामिल रहीं। प्रो. केके सिंह ने बताया कि करीब 50 हजार रुपये में पूरा इलाज हो गया।