फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर अध्यक्ष बनी आभा गुप्ता की कुर्सी गई

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अवधनामा संवाददाता

राज्यपाल ने आभा गुप्ता के अध्यक्ष पद से हटाने की दी स्वीकृति
कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता का फर्जी जाति प्रमाण पत्र को राज्यस्तरीय कमेटी ने किया था निरस्त
कुशीनगर। आखिरकार पिछडी जाति के फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाकर आरक्षित पद पर निर्वाचित हुई कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता की अध्यक्ष पद की कुर्सी चली गयी। राज्यपाल ने आभा गुप्ता को अध्यक्ष पद से हटाने की स्वीकृति दे दी है।  कहना ना होगा कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपये के धन का बंदरबांट करने वाली नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र राज्यस्तरीय कमेटी ने गहन जांच के बाद निरस्त कर दिया था कमेटी ने कूट रचना कर गलत जाति प्रमाण पत्र जारी कराने वालों में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के भी निर्देश दिया था जिस पर राज्यपाल ने    भी अपनी सहमति जताई है।
राज्यपाल के प्रमुख सचिव अमृत अभिज्ञात द्वारा जारी किये गये आदेश संख्या 1201/9-1-22-17च /2018 लखनऊ दिनांक – 4 अगस्त – 2022 मे पैरा एक से सात तक मे कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता के फर्जी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ जिला स्तरीय जांच कमेटी से लगायत मण्डलीय जांच कमेटी व राज्य स्तरीय स्कूटनी कमेटी द्वारा जांचोपरांत लिए गये निर्णय व दिये गये निर्देश का उल्लेख किया गया है। इसके बाद राज्यपाल की ओर उनके प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने आदेश पारित किया है जिसमे कहा गया है कि नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता की पिछडी जाति का प्रमाण-पत्र राज्य स्तरीय स्कूटनी कमेटी के आदेश दिनांक – 17-5-2022 द्वारा निरस्त हो जाने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 13ग(ख) की व्यवस्था के अन्तर्गत आभा गुप्ता को अध्यक्ष पद के लिए निर्धारित योग्यता से निरर्ह (अयोग्य) हो जाने के कारण राज्यपाल उत्तर प्रदेश, आभा गुप्ता अध्यक्ष नगर पंचायत कप्तानगंज को अध्यक्ष पद से हटाये जाने का सहर्ष स्वीकृति प्रदान करती है।
क्या है पुरा मामला
 यहां बताना जरूरी है कि कप्तानगंज की नगर पंचायत अध्यक्ष सीट पिछडी जाति की महिला के लिए आरक्षित थी। पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र पर आभा गुप्ता चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनी थी। चुनाव के दौरान आभा गुप्ता ने खुद को कान्दू जाति बताकर गोरखपुर से जारी जाति प्रमाण पत्र जमा किया था जबकि आभा गुप्ता स्वर्ण जाति की श्रेणी मे आने वाली अग्रहरि बिरादरी से ताल्लुक रखती है। फर्जी प्रमाण के आधार पर चुनाव जीतने के बाद आभा गुप्ता तो चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज हो गयी लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी रहे नासिर ने उसी समय तमाम साक्ष्यों के साथ इसकी शिकायत कुशीनगर व गोरखपुर के जिलाधिकारी के साथ-साथ चुनाव आयोग से भी कर दी। नतीजतन जांच में शिकायत की पुष्टि होने पर जिला स्तरीय जांच कमेटी ने आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ आभा गुप्ता ने मंडलीय स्तर पर अपील की लेकिन मंडलीय कमेटी ने भी जिला स्तरीय कमेटी के निर्णय को सही ठहराया।
जिला व मण्डल स्तरीय कमेटी के निर्णय को दिया चुनौती
जिला स्तरीय व मण्डलीय कमेटी के जांच मे फर्जी प्रमाणपत्र के दोष सिद्ध होने के बाद आभा गुप्ता खुद का बचाव करने के लिए राज्यस्तरीय कमेटी में अपील की। राज्यस्तरीय कमेटी ने आभा के मायके से लेकर ससुराल तक के प्रमाण पत्र जुटाए। गहन जांच के बाद 17 मई को जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का निर्देश दिया। साथ ही गलत जाति प्रमाण पत्र जारी करने वालों पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। कमेटी के निष्कर्ष के मुताबिक आभा गुप्ता कान्दू जाति की नहीं, बल्कि अग्रहरी हैं। अग्रहरी सामान्य जाति की श्रेणी में है। राज्य स्तरीय कमेटी के इस निर्णय के बाद आभा गुप्ता की अध्यक्ष पद की कुर्सी पर तलवार लटकने लगी है हालांकि आभा गुप्ता राज्य स्तरीय कमेटी के इस निर्णय से संतुष्ट नहीं थी और वह इस आदेश के खिलाफ  कोर्ट जाने की रास्ता तलाश रही थी। जानकारो का कहना है कि आभा गुप्ता इस मामले को कोर्ट मे पहुंचाकर किसी तरह से अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती थी। वह इस गफलत मे थी कि मामला कोर्ट मे पहुचने के बाद उनका कार्यकाल पुरा हो जायेगा तो फिर उनके खिलाफ कोर्ट से निर्णय आने के बाद भी कोई कार्रवाई नही होगी।
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