झूमर गीत से हुआ लोकरंग महोत्सव का आगाज

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अवधनामा संवाददाता

जोगिया जनूबीपट्टी में दो दिवसीय लोकरंग महोत्सव
लोक संस्कृति के संरक्षण में महती भूमिका निभा रहा लोकरंग-प्रो0रामपुनियानी
कुशीनगर। जनपद के फाजिलनगर विकास खण्ड क्षेत्र के जोगिया जनूबीपट्टी में गुरुवार से दो दिवसीय लोकरंग महोत्सव का आगाज हो गया है। लोकरंग पत्रिका 2022 का विमोचन और झूमर से महोत्सव का शुभारंभ किया गया। इस दौरान  देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोक संस्कृतियों को जीवंत कर सबका मन मोह लिया।   स्मृतिशेष जद्दु भगत को समर्पित लोकरंग महोत्सव 2022 का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर रामपुनियानी ने किया। उन्होंने कहा कि आम जनता के भीतर की जन भावनाओं को बचाने के लिए लोकरंग जैसे आयोजन बहुत ही जरूरी हैं। लोकरंग विलुप्त हो रही लोक संस्कृतियों को संजोने का बेहतर मंच है। यह आयोजन हमारी लोक संस्कृति के संरक्षण में महती भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमारी लोक संस्कृतियों पर आक्रमण हो रहा है। इसे रोकने में लोकरंग महती भूमिका निभा रही है।
लोकरंग का आगाज मतिरानी देवी व गांव की महिलाओं की ओर से प्रस्तुत झूमर गीत खेतवा में लागल बा कटनिया, पिया पालटनिया में गइले.. से हुआ। इसके बाद बलिया की संकल्प संस्था की टीम ने आशीष त्रिवेदी के निर्देशन में परंपरागत भोजपुरी लोकगीत प्रस्तुति कर लोकरंग को ऊंचाई प्रदान कीं। इसी क्रम रामकोला क्षेत्र के फरना निवासी राजन गोबिंद राव ने बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। ताल नृत्य संस्थान भागलपुर बिहार की झिझियां, गोदना, जट जटिन लोकनृत्य व डोमकच नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर लोक संस्कृतियों को जीवंत कर दिया। आयोजन में पहली बार प्रस्तुति देने आए महाराष्ट्र के नागपुर की आम्रपाली लावणी डांस ग्रुप के कलाकारों ने लावणी नृत्य प्रस्तुति से सबको रोमांचित कर दिया। राजस्थानी लोकगीत एवं नृत्य, पारंपरिक मांगणियार के कलाकार ईमामुद्दीन, चिरमी सपेरा, पापिया कालबेलिया, जस्सा खान, टगा राम आदि ने हारमोनियम, ढोलक, मोरचंग, ढोल आदि की जुगलबंदी से लोकरंग के आयोजन ने चार चांद लगा दिया।
कार्यक्रम के अंत में सूत्रधार आजमगढ़ की टीम ने अभिषेक पंडित की ओर से निर्देशित नाटक बोधू सिंह अहीर नाटक प्रस्तुत कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को आम लोगों से परिचित कराते हुए देश की आजादी के लिए उनके द्वारा दिए योगदान को मंच पर उतारा। बोधू सिंह अहीर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में से एक थे। इस मंचन में डॉ. अलका सिंह,  शशिकांत, ममता पंडित, हरिकेश मौर्य, रितेश, अंगद, संदीप, आदित्य, अभिषेक, अखलेस, सूरज कुमार आदि ने अभिनय किया। कार्यक्रम का संचालन रीवा विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश कुशवाहा ने किया। अंत मे लोकरंग सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष व आयोजक सुभाषचंद कुशवाहा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।
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