टिड्डी दलों के आक्रमण की सम्भावना, जारी की गयी एडवाइजरी

0
71

 

Possibility of attack of locust parties, advisory issued

अवधनामा संवाददाता

आजमगढ़ (Azamgarh)। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार राजस्थान प्रान्त में टिड्डी  दलों के आक्रमण की सम्भावना व्यक्त की गयी है। जनपद में पूर्व वर्ष में इन टिड्डी दलों द्वारा किये गये आक्रमण में अपनायी गयी सफल रणनीति के दृष्टिगत एवं वर्तमान वर्ष 2021 में आकस्मिक आक्रमण की स्थिति से बचाव हेतु कृषि निदेशालय उत्तर प्रदेश द्वारा जारी की गयी उपरोक्त एडवाइजरी के क्रम में जनपद के कृषक बन्धुओं से अपील है कि टिड्डी दल के सम्भावित आक्रमण से बचाव हेतु दिये गये निम्न सुझाव से उस पर नियन्त्रण प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने जनपद के किसान बंधुओ को अवगत कराया है कि टिड्डी दल एक साथ लाखों की संख्या में कई किमी0 के दल के रूप में गमन करते है। जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहाँ की फसलो, वनस्पतियों एवं पेड़-पौधों की पत्तियों को चट कर वीरान कर देते है। टिड्डीयाँ हवा की दिशा में एक दिन में 100 से 150 किमि0 की दूरी तय कर लेती है। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड़ पौधों पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेती है, आश्रय के समय ही अधिक से अधिक फसलों व वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाती है। एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर कर सुबह उड जाती है। इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों के छिडकाव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11.00 बजे से सुबह 9.00 बजे तक का होता है। बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकुल होती है। टिड्डी दलों के सम्भावित आक्रमण के क्षेत्र में खेत की जुताई करवाकर जल भराव करने से टिड्डीयों के प्रजनन/वृद्धि की सम्भावना कम हो जाती है। टिड्डी दल से बचाव हेतु कृषक बन्धुओं से भी अनुरोध है कि अपने स्तर पर निगरानी दल बना लें और इसकी निगरानी करते रहें।
जिला क़ृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि इनके नियंत्रण हेतु टिड्डी दल को खेतों के आस-पास दिखाई देते ही किसान भाई सोशल दूरी का पालन करते हुये टोलियाँ बनाकर सायं काल के समय थाली, ढोल , नगाड़े, घण्टिया, डीजे एवं पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगाया जा सकते है। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर भी टिड्डीयों को एकत्रित होने से रोका जा सकता है। टिड्डी दल के आकाश में दिखाई देने पर घास – फूस जलाकर धुआँ करें। टिड्डी दल के आक्रमण के पश्चात कीटनाशक उपलब्ध न होने की दशा में ट्रैक्टर चालित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी इन्हे भगाया जा सकता है। टिड्डी दल के आक्रमण के समय यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि उन्हें फसलों अथवा पेडों पर प्रवास न करने दिया जाय, क्योंकि रात्रि प्रवास के समय एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर सुबह उड़ जाती है। इसके नियन्त्रण के लिये कृषक बंधु एजाडिरेक्टिन (नीम ऑयल) 1.50 से 2.00 ली0 प्रति हेक्टेयर 600 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
टिड्डी दलों के रात्रि प्रवास के समय ही इन पर संस्तुत कृषि रक्षा रसायनों यथा – क्लोरपाइरिफास 20 प्रतिशत ईसी, क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी , लैम्ब्डासाइहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ईसी, लैम्ब्डासाइहेलोथ्रीन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी, मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी, डेल्टामेथ्रिन 28 प्रतिशत ईसी, फिप्रोलिन 5 प्रतिशत एससी, फिप्रोनिल 28 प्रतिशत ईसी इत्यादि का छिड़काव कर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। इसे यथा सम्भद विशेषज्ञों के देख- रेख में ही प्रयोग किया जाय। टिड्डी दलों के प्रभावी नियंत्रण हेतु मैलाथियान 96 प्रतिशत यूएलपी का छिड़काव अत्यन्त प्रभावी होता है, परन्तु यह रसायन जन- सामाना को उपलब्ध न होने के कारण इसका छिड़काव भारत सरकार की तकनीकी टीम के देख- रेख में उनके पास उपलब्ध छिड़काव यंत्रों से ही किया जाता है। इस हेतु भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण संगठन फरीदाबाद , हरियाणा से सम्पर्क किया जा सकता है। साथ ही केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र लखनऊ, गोरखपुर एवं आगरा से भी सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इस सम्बन्ध में अपेक्षित है कि टिड्डी दल दिखायी देने पर सर्वप्रथम अपने श्रोतों से टिड्डी दल के आक्रमण होने की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के स्थानीय प्राविधिक सहायकों, ग्राम पंचायत अधिकारी एवं सहायक विकास अधिकारी कृषि/कृषि रक्षा के माध्यम से कृषि विभाग अथवा जिला प्रशासन तक तत्काल पहुचायें। इन आक्रमण की दशा में जनपद के कृषि रक्षा अनुभाग में आपदा हेतु नामित सहायक नोडल अधिकारियों के मोबाइल नं0 9919588753 एवं 9450809578 पर जानकारी दी जा सकती है, एवं सलाह प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कृषक बन्धुओं द्वारा भारत सरकार के टिड्डी नियन्त्रण संगठन, फरीदाबाद, हरियाणा से सम्पर्क किया जा सकता है तथा केन्द्रीय एकीकृतनाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन न0 0522-2732063 अथवा अपर निदेशक कृषि रक्षा लखनऊ को फोन नं0-0522-2205868 पर भी सूचित कर सकते है।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here