परेशानी के दौर मे भी नही बाज़ आ रहे है तेल के मिलवाटखोर

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Even in times of trouble, there are no hawkers of oil

 

अनिल कनौजिया (अवधनामा संवाददाता)

प्रशासन चाहे तो पकड़ा जा सकता है हजारो लीटर मिलावटी तेल क्यो नही ध्यान दे रहे है जिलाधिकारी

लखीमपुर खीरी- (Lakhimpur Kheri) शहर समेत ग्रामीण अंचलों में खड़े हुए तेल के बड़े दामों से वैसे भी आम आदमी परेशानी के दौर से गुजर रहा है वहीं मौजूदा समय में बिक रहे मिलावटी तेल से तमाम तरह की बीमारियां भी पैर पसारने लगी हैं l हाल के दिनों में वैसे भी कोरोना का प्रकोप छाया हुआ है ऊपर से मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं कड़वे मिलावटी तेल में खाने वालों को मुसीबत में डाल दिया है l कुल मिलाकर जिला प्रशासन ने इस गोरखधंधे पर रोक लगानी चाहिए सूत्रों एवं जानकारों ने बताया कि हाल के दिनों में जनपद समेत पूरा देश को कोरोना की महामारी का दंश झेल रहा है ऊपर से मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं मिलावटी कड़वे तेल ने आम आदमी को हैरत में डाल दिया हैl सूत्रों ने बताया कि मौजूदा समय में ग्रामीण इलाके गोला मोहम्मदी निघासन धौराहरा आदि क्षेत्रों के अलावा और भी क्षेत्रों में बेरोकटोक कड़वे मिलावटी तेल की बिक्री जारी है बताया जाता है कि स्पेलर संचालकों के पास अक्सर टैंकर भर कर आते हैं जो सफेद तरह का तेल देखा जा रहा है बताते हैं कि इस तेल में मिलावट पर कड़वे तेल को पीले रंग का स्वरूप दिया जाता है फिर तेल को मार्केट में सप्लाई किया जाता है मिलावटी कड़वे तेल की सप्लाई मौजूदा समय में चल रही है प्रशासन को तत्काल रोक लगानी चाहिएl l बड़े-बड़े तेल विक्रेता चल रहे हैं जो कानून को बलाय ताक पर रख कर अपनी समांतर सरकार खुद चला रहे हैं कहने का तात्पर्य है कि लाख विरोधो के बाद भी शहर के थोक विक्रेता करने वाले तेलों पर मनमाने दाम बढ़ाकर गरीबों की थाली में निवाला छीनने का कार्य कर रहे हैl इस तरह का कृत्य करने वाले कालाबाजारियों को ना ही कानून का खौफ है और ना ही जिला प्रशासन का ही डर हैl हाल के दिनों में यह सिलसिला बदस्तूर जारी है भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश प्रदेश समेत जनपद में कोराना कफ्र्यू क्या लगा मानो बड़े बड़े धन्ना सेठों की चांदी आ गई सूत्रों ने बताया कि जनपद लखीमपुर खीरी के तेल मिल मालिकों एवं डीलरों की मिलीभगत के चलते खुले रुप में बिकने वाला कड़वा तेल जो पूर्व में 100 से लेकर 110 रूपये प्रति किलो की दर से बिकता था वह आज 180 रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा हैl जिसकी गारंटी भी नहीं कि खरीदा गया तेल असली भी है या नकली इसी तरह से नेचर फ्रेश जो पूर्व में 130 रूपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा था वह मौजूदा समय में 160 रूपये की दर से खुलेआम बेचा जा रहा हैl सूत्रों एवं कुछ खरीदारों ने बताया कि इसी तरह से सफारी रिफाइंड पूर्व में 120 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा था वह अब 145 रूपये की दर से बिक रहा है ऐसा ही कुछ हाल बैल कोल्हू का भी है बैल कोल्हू में 140 रूपये प्रति लीटर की दर से मार्केट में उपलब्ध था मगर कोरोना कर्फ्यू लगते ही इसकी कीमत में उछाल आया है और 1 लीटर तेल 170 रूपये प्रति लीटर की दर को पार कर गया l सूत्रों एवं जानकारों ने बताया कि कोरोना कर्फ्यू का सीधा लाभ बड़े-बड़े उद्योगपतियों को हुआ और वह बेशुमार दौलत के स्वामी बन गए जानकारों की मानें तो डीलरों का साफ कथन है कि जब सीधे तौर पर जिम्मेदार मोटी रकम ले रहे हैं तो डर किस बात का महसूस किया जाए l बात भी सच है कि प्रशासन की नाक के नीचे इस तरह के कृत्य किए जाएं और जिम्मेदार मौन न तोड़े ऐसा तभी संभव होगा जब दाल में कुछ काला होगा l जनपद में बेरोक जारी कड़वे तेल की कालाबाजारी पर अब जिलाधिकारी खीरी को ध्यान देने की जरूरत है अगर डीएम साहब ने अभी ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब उनकी थाली से तेल की चिकनाहट रफ्ता रफ्ता समाप्त हो जाएगी l यहां पर बिकने वाले तेल का आलम यह है कि शुद्धता के नाम पर बेधड़क मिलावटी तेल की बिक्री सरेआम की जा रही है यह अलग बात है कि कार्यवाही करने वाले जिम्मेदार अधिकारी मौन है अब सारी उम्मीदें डीएम पर ही निर्भर हो गई है देखना यह है कि इस काले कारोबार पर रोक भी लगेगी अथवा इसी तरह के कृत्य जारी रहेंगे भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लखीमपुर शहर समेत कई जिलों में खुलेआम मिलावटी तेल से लदे टैंकर उतारे जा रहे हैं अक्सर देखा जाता है कि तेल का कारोबार करने वाले बड़े व्यापारी जनता कर्फ्यू के दौरान भी टैंकरों से मिलावटी तेल लगाकर उसमें अन्य किस्म का तेल मिलाकर कड़वे तेल का स्वरूप देकर खुलेआम मार्केट में सप्लाई कर रहे हैं l सूत्रों ने बताया कि इस तरह का गैर कानूनी कृत्य करने वाले कालाबाजारियों के तमाम दलाल भी लगे हुए हैं जो तरह-तरह के सब्जबाग दिखाकर खरीदारों के हाथों में तेल की सप्लाई कर मोटा कमीशन प्राप्त करते हैं बताया गया है कि तेल के इस खेल में खाद्य विभाग एवं पुलिस की संलिप्तता रहती है क्योंकि हर मर्ज की दवा पुलिस मानी जाती है जब पुलिस के हाथ में पावर है तो तभी उसे चढ़ावा चढ़ा कर कानूनी व गैरकानूनी कृत्य कराए जाते हैंl जनपद में कड़वे तेल की बिक्री का आलम यह है कि अधिकतर किराना व्यवसाई से मिलावटी तेल की बिक्री कर रहे हैं अब जरूरत है इस गैरकानूनी कृत पर रोक लगाने की जब जिम्मेदार इस ओर से मुंह मोड़े हुए हैं तो जिलाधिकारी को खुद संज्ञान लेकर रोक लगानी चाहिए क्या जिलाधिकारी इस पद पर रोक भी लगाएंगे फिलहाल अभी से कुछ कह पाना मुश्किल है lजनपद में बिक रहे मिलावटी कड़वे तेल में प्याज मोबिल ऑयल मसूरी की छाछ पर कर मिलाई जा रही है वहीं तेल को पीला किए जाने को लेकर पीले रंग का केमिकल मिलाकर जहां खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को ठेंगा दिखाया जा रहा है वही प्रयोग करने वाले लोगों को बीमारी की ओर धकेला जा रहा है l कोरोना काल में लापरवाही की इंतहा पार कर चुका प्रशासन आखिर कब मिलावटखोरों पर कार्यवाही कर आएगा या तो भविष्य की बात है हां इतना जरूर है कि अगर प्रशासन निष्पक्षता से जांच कराए तो सैकड़ों तो क्या हजारों लीटर मिलावटी कड़वा तेल पकड़ा जा सकता है

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