Saturday, November 1, 2025
spot_img
HomeLucknowIndependence Day 2025: महज 4,600 रुपये लूटने वाले क्रांतिकारियों पर 10 लाख...

Independence Day 2025: महज 4,600 रुपये लूटने वाले क्रांतिकारियों पर 10 लाख हुए थे खर्च, 10 महीने चला था मुकदमा

लखनऊ में काकोरी ट्रेन एक्शन के क्रांतिकारियों को पकड़ने में 10 लाख रुपये खर्च हुए जबकि लूट सिर्फ 4600 रुपये की थी। मुकदमे की सुनवाई जीपीओ में हुई जिसमें कई ऐसे लोग भी शामिल थे जो घटना में शामिल नहीं थे। जीपीओ में क्रांतिकारियों की यादें आज भी ताजा हैं और उनके नाम स्मारक में दर्ज हैं। जनता की सहानुभूति क्रांतिकारियों के साथ थी।

लखनऊ। महज 4,600 रुपये लूटने वाले इन क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने में करीब 10 लाख रुपये खर्च किए गए थे। क्रांतिकारियों पर सरकारी खजाना लूटने और हत्या का केस चलाया। करीब 10 महीने मुकदमा चला। इस केस की सुनवाई जनरल पोस्ट आफिस (जीपीओ) में भी की गई थी।

फिर क्रांतिकारियों को सजा सुनाई गई। काकोरी ट्रेन एक्शन क्रांतिकारियों को पकड़वाने के लिए पांच हजार रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी, लेकिन कांड से उत्साहित जनता की क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति और अधिक हो गई थी।

काकोरी ट्रेन एक्शन ने अंग्रेजी हुकूमत को पूरी तरह हिला दिया था। अंग्रेजों ने घटना करने वाले क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अंग्रेज अधिकारी आरए हार्टन को इस घटना की विवचेना का इंचार्ज बनाया गया। आठ डाउन ट्रेन के यात्रियों के बयान और घटना के स्वरूप को देख हार्टन को शुरू से ही यह समझ में आ गया था कि इस घटना को क्रांतिकारियों ने ही अंजाम दिया है, क्योंकि इसमें केवल सरकारी खजाना ही लूटा गया था, यात्रियों को कोई नुकसान तक नहीं पहुंचा था।

26 सितंबर को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, प्रेम किशन खन्ना, हरगोविंद व तीन अन्य लोग शाहजहांपुर से गिरफ्तार किए गए, जबकि सुरेश चंद्र भट्टाचार्य, दामोदर स्वरूप सेठ, मन्मथ नाथ गुप्त, राम नाथ पांडेय व दो अन्य लोग बनारस से और गोविंद चरण व शचींद्र नाथ विश्वास लखनऊ से गिरफ्तार किए गए। कानपुर से राम दुलारे त्रिवेदी के साथ ही प्रदेश के विभिन्न नगरों से दस अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। सभी को लखनऊ जिला जेल लगाया गया।

इन सभी की गिरफ्तारियों की भनक लगते ही अशफाक उल्ला खां शाहजहांपुर से और शचींद्रनाथ बख्शी बनारस से फरार हो गए, जबकि राजेंद्र नाथ लाहिड़ी बम बनाने का प्रशिक्षण लेने पहले ही कोलकाता चले गए थे, पर जल्द ही वह आठ अन्य क्रांतिकारियों के साथ पकड़ लिए गए। 18 अक्टूबर को स्वामी गोविंद प्रकाश उर्फ श्रीराम कृष्ण खत्री को पूना से गिरफ्तार कर लखनऊ लाया गया। दिसंबर 1925 से अगस्त 1927 तक लखनऊ के रोशनुद्दौला कचहरी फिर बाद में रिंंग थियेटर (वर्तमान में जीपीओ) में यह मुकदमा दो चरणों में चलाया गया।

काकोरी षडयंत्र केस और पूरक केस। इस मुकदमे में एक विशेष बात यह थी कि इसमें वे एक्शन भी शामिल कर लिए गए, जिनका काकोरी ट्रेन एक्शन से कोई संबंध नहीं था। जैसे- 25 दिसंबर 1924 को पीलीभीत जिले के बमरौला गांव में, फिर नौ मार्च 1925 को बिचुरी गांव में और 24 मई 1925 को प्रतापगढ़ जिले के द्वारकापुर गांव में किए गए एक्शन।

गिरफ्तार कई क्रांतिकारी ऐसे थे, जो काकोरी कांड की घटना में शामिल तक नहीं थे। जीपीओ के सामने स्मारक में काकोरी ट्रेन एक्शन के सभी क्रांतिकारियों के नाम दर्ज हैं। लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल सुनील कुमार राय ने बताया कि जीपीओ में इस घटना की सुनवाई की गई थी। जीपीओ के हाल में उन स्मृतियों को चित्रित किया गया है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular