शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो पीएम-श्री स्कूल ऐसी ही एक पहल थी जिसे अब विस्तार दिया जा सकता है। पीएम-श्री स्कूलों के जरिए देश में स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर पीएम-श्री या उसके जैसे स्कूलों को विकसित करने की पहल तेज हुई है। इस साल के अंत तक ऐसे और स्कूलों को खोलने का एलान किया जा सकता है।
पीएम-श्री स्कूलों के जरिए देश में स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर जिस तरह से माहौल बना है उसे देखते हुए और भी पीएम-श्री या उसके जैसे स्कूलों को विकसित करने की पहल तेज हुई है। आने वाले दिनों में प्रत्येक पांच से दस किलोमीटर के दायरे में ऐसे और स्कूल खोले जा सकते है।
शिक्षा मंत्रालय ने पहल की तेज
शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के रुझान को देखते हुए इस दिशा में पहल तेज की है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक ऐसे और स्कूलों को खोलने का एलान किया जा सकता है। वैसे भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी) के तहत 2025 तक प्रत्येक पांच से दस किलोमीटर के दायरे में एक स्कूल कलस्टर या काम्प्लेक्स बनाने की सिफारिश की गई है। एनईपी ने साफ कहा है कि यह स्कूल काम्प्लेक्स ऐसा होना चाहिए, जिसमें बच्चों के लिए खेलकूद, स्मार्ट क्लास रूम, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कला-संगीत आदि जैसी सभी व्यवस्थाएं है।
इस योजना को दिया जा सकता है विस्तार
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो पीएम-श्री स्कूल ऐसी ही एक पहल थी, जिसे अब विस्तार दिया जा सकता है। मौजूदा समय में देश में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल को छोड़ दे तो देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रत्येक ब्लाक में दो पीएम-श्री स्कूल विकसित किए गए है। खासबात यह है ये कोई नए स्कूल नहीं है बल्कि पहले संचालित सरकारी स्कूलों को ही पीएम-श्री स्कूल की तर्ज पर विकसित किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक पीएम-श्री स्कूल स्कीम के तहत देश में कुल 14500 स्कूल विकसित किए है। इन सभी स्कूलों को विकसित करने के लिए दो-दो करोड़ की विशेष मदद दी गई है। इन सभी स्कूलों का चयन प्रतिस्पर्धा के जरिए किया गया है। साथ ही इस स्कीम से जुड़ने के लिए राज्यों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की गांरटी देनी होगी। सूत्रों के मुताबिक इस पहल से स्कूली बच्चों को खेल, संगीत व कला जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए आसपास ही एक बेहतर स्कूल मिल जाएगा। अभी स्थानीय स्तर पर ऐसी सुविधा न होने यह सभी प्रतिभाएं स्थानीय स्तर पर ही खत्म हो जाती है।