स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है।
चिकित्सक के रात्रि निवास न करने व ड्यूटी पर समय से न आने का मामला आए दिन सुर्खियों में रहता है। अब जिला क्षय रोग विभाग का भी एक मामला सामने आया है। इसमें खर्च का हिसाब किताब मांगने वाले चिकित्सक का रातोंरात प्रभार हटा कर एक दिव्यांग चिकित्सक को दे दिया गया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
सूत्र के मुताबिक वर्ष 2005 से विभाग में डटे कर्मियों का तबादला नहीं किया गया है, जो 20 वर्षों से वारा न्यारा कर रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किए जाने का संकल्प पूरा होता नहीं दिख रहा है। वहीं, उप जिला क्षय रोग अधिकारी का प्रभार हटाने को लेकर रार ठन गई है। सीएमओ-एसीएमओ/जिला क्षय रोग अधिकारी आमने-सामने गए हैं।
जिले में 19 टीबी यूनिट संचालित की जा रही है। इसमें एसटीएस (ट्रीटमेंट सुपरवाइजर) व एसटीएलएस (ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर) की तैनाती है। मरीजों की देखरेख व उनके रहन सहन पर जो धनराशि खर्च की जाती है। सूत्र के मुताबिकवर्ष 2024-2025 में समस्त डाट प्रोवाइडर को किए गए भुगतान की सूची मांगी थी, इससे वहां तैनात कर्मियों को बात अखर गई। डा. जितेंद्र मिश्र ने कहा कि उन्हें निदेशालय से प्रभार दिया गया था। सीएमओ का पत्र प्राप्त हुआ है।